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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, निजी और अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलजों में लागू होगा NEET

अब निजी और अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलजों में NEET के जरिए होगा एडमिशन (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि NEET का मकसद दाखिले में गुणवत्ता को बनाए रखना है. केंद्र सरकार द्वारा संचालित एग्जाम से बेहतर छात्र सेलेक्ट हो कर आयेंगे.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला दिया है कि निजी और अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेजों में भी दाखिले के लिए NEET की परीक्षा जरूरी होगी. NEET को ना मानने वाले कॉलेजों की मान्यता रद्द की जा सकती है. NEET भ्रटाचार खत्म करने के लिए जरूरी है.

देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में MBBS, BDS, MD और MS में दाखिले के लिए केंद्र सरकार ने 2020 में NEET यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट की शुरूआत की थी. इसका मकसद था कि एक ही एग्जाम के तहत सभी कॉलेजों में दाखिला हो, छात्रों को हर कॉलेज के लिए अलग-अलग एग्जाम न देना पड़े और साथ में मेडिकलों कॉलेज में दाखिले में भ्रष्टाचार और निजी संस्थानों का मनमानापन खत्म किया जाए.

लेकिन कुछ मेडिकल कॉलेज के प्रशाशन ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. निजी मेडिकल कॉलेजों का कहना था कि वह सरकार से कोई सहायता नहीं लेते इसलिए सरकार उन पर कोई एग्जाम नहीं थोप सकती. उनके दाखिला देने के अधिकार को नहीं छीन सकती. साथ ही कुछ अल्पसंख्यक संस्थाएं जिनको सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है उन्होंने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनका कहना था कि अल्पसंख्यक संस्थाओं को अपने तरीके से संस्थान चलाने का संवैधानिक अधिकार है. दाखिले में सरकार कोई दखल नहीं दे सकती.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिकालेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज इनकी याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NEET का मकसद दाखिले में गुणवत्ता को बनाए रखना है. केंद्र सरकार द्वारा संचालित एग्जाम से बेहतर छात्र सेलेक्ट हो कर आयेंगे. NEET के कारण किसी भी संस्था के दाखिला देने के अधिकार को नहीं छीना जा रहा है. सिर्फ दाखिला देने कि एक प्रक्रिया दी जा रही है. निजी मेडिकल कॉलेजों में फैले भ्रटाचार पर भी कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है.

नियम का पालन न करने पर रद्द होगी मान्यता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दुष्टता को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता. लेकिन कम जरूर किया जा सकता है. प्राइवेट कॉलेज हर संभव प्रयास करते हैं कि वह सेंट्रल लिस्ट के छात्रों को दाखिला न दें. लेकिन अब हर निजी या अल्पसंख्यक कॉलेजों को मेरिट के आधार पर ही दाखिला देना होगा. जो संस्थान NEET का पालन नहीं करेगा उसकी मान्यता रद्द हो सकती है. निजी मेडिकल कॉलेजों पर दाखिले में मनमाना डोनेशन लेने और मेरिट से नीचे के छात्रों को दाखिला देने का आरोप लगता आया है.

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First published: April 29, 2020, 4:49 PM IST



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