देश दुनिया

NDPS कानून में प्रतिबंधित पदार्थ के मिश्रण की मात्रा से तय होगी सजा: SC | entire weight of banned drug mixture to determine quantity supreme court on ndps law | nation – News in Hindi

NDPS कानून में प्रतिबंधित पदार्थ के मिश्रण की मात्रा से तय होगी सजा: सुप्रीम कोर्ट

एनडीपीएस कानून के तहत व्यावसायिक मात्रा में मादक पदार्थ रखने की सजा कम मात्रा में इसे रखने की सजा से ज्यादा है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पीठ ने कहा कि भारत में युवा पीढ़ी में मादक दवाओं के सेवन की लत बढ़ रही है और यह समाज के खिलाफ अपराध है जिससे सख्ती से निबटने की जरूरत है.

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने नशीली दवाओं पर अंकुश लगाने संबंधी एनडीपीएस कानून (NDPS Law) को और सख्त बनाते हुए कहा है कि इस कानून के तहत प्रतिबंधित नशीले पदार्थ की शुद्धता नहीं बल्कि इसके संपूर्ण मिश्रण की मात्रा अपराध के लिये सजा का निर्धारण करेगी. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने बुधवार को अपने फैसले में केन्द्र सरकार की 18 नवंबर, 2009 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकायें खारिज करते हुये कहा कि यह तय करने के लिये प्रतिबंधित नशीले पदार्थ के वजन में मिलाये गये अन्य पदार्थो के वजन को शामिल करना होगा कि नशीला पदार्थ निरोधक कानून के तहत कम मात्रा में था या फिर उसकी व्यावसायिक मात्रा थी.

इस अधिसूचना में कहा गया था कि एक या एक से अधिक पदार्थों के मिश्रित होने वाले नशीले पदार्थ की मात्रा का निर्धारण करते समय दूसरे पदार्थों का वजन भी नशीले पदार्थ में शामिल किया जायेगा.

युवा पीढ़ी में बढ़ रही नशीले पदार्थों की लत
पीठ ने कहा कि भारत में युवा पीढ़ी में मादक दवाओं के सेवन की लत बढ़ रही है और यह समाज के खिलाफ अपराध है जिससे सख्ती से निबटने की जरूरत है. न्यायालय ने कहा कि दो सदस्यीय पीठ का 2008 का निर्णय अच्छी व्यवस्था नहीं थी. इस फैसले में पीठ ने कहा था कि प्रतिबंधित पदार्थ की मात्रा कम या व्यावसायिक होने का निर्धारण करने के लिये मिश्रित नशीले पदार्थ में प्रतिबंधित मादक पदार्थ का वजन ही प्रासंगिक है.एनडीपीएस कानून के तहत व्यावसायिक मात्रा में मादक पदार्थ रखने की सजा कम मात्रा में इसे रखने की सजा से ज्यादा है. न्यायालय ने कहा कि गैरकानूनी तरीके से मिलने वाले नशीले पदार्थ अक्सर शुद्धता के साथ बेचे जाते हैं और हमेशा हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ में कैफीन मिलायी जाती है जिससे हेरोइन धीरे-धीरे खत्म होती है.

कानून का मकसद सराहनीय
शीर्ष अदालत ने कहा कि एनडीपीएस कानून एक विशेष कानून है और इसका मकसद सराहनीय है. इस कानून का उद्देश्य इसकी चुनौतियों का मुकाबला करना है. नशीले पदार्थों को रखने और सेवन के संदर्भ में न्यायालय ने कहा कि दोषी व्यक्ति सलाखों के पीछे होना चाहिए और निर्दोष बाहर होने चाहिए. न्यायालय ने कहा कि इस कानून के तहत मादक पदार्थों का धंधा करने की सजा एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन इसकी रोकथाम का हिस्सा ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस कानून का मकसद अपराध के बाद दोषियों को दंड देने की बजाय नशीले पदार्थों के गैरकानूनी धंधे की रोकथाम करना है.

इसके साथ ही न्यायालय ने केन्द्र सरकार की 18 नवंबर, 2009 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली तमाम याचिकायें खारिज कर दीं. इस अधिसूचना में कहा गया था कि एक या एक से अधिक पदार्थों के मिश्रित होने वाले नशीले पदार्थ की मात्रा का निर्धारण करते समय दूसरे पदार्थों का वजन भी नशीले पदार्थ में शामिल किया जायेगा.

ये भी पढ़ें-
PM की अहम बैठक कल, किसानों और कारोबारियों के लिए हो सकता है बड़ा फैसला

सिर्फ पैसा बांटने से नहीं बढ़ेगी किसानों की आय, इसके लिए ये भी करना है जरूरी

News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए देश से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.


First published: April 23, 2020, 3:59 PM IST



Source link

Related Articles

Back to top button