11 organizations come forward to help those trapped in the lockdown providing relief material Nodakm RJDS | लॉकडाउन में फंसे लोगों की मदद को आगे आए 11 संगठन, मिलकर पहुंचा रहे हैं राहत सामग्री | nation – News in Hindi


संस्थाएं बेघर लोगों, कच्ची बस्ती के निवासियों और घुमन्तु जाति के लोगों तक राहत पहुंचाने का बंदोबस्त कर रही है.
लॉकडाउन (Lockdown) के चलते दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हुए करीब 2 हजार लोगों तक यह संस्था रोजाना भोजन और राशन (Ration) पहुंचा रही है.
सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव के मुताबिक राजस्थान में 21 अप्रैल से लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी और इसी दिन से जन संगठनों ने पीड़ितों तक मदद पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी थी. इसके लिए पीयूसीएल संस्था के कार्यालय को वॉररूम में तब्दील किया गया है. लॉकडाउन से व्यापक स्तर पर प्रभावित लोगों तक वॉर रूम का नम्बर पहुंचाया गया है. साथ ही, जो वाहन राहत सामग्री लेकर जाते हैं, उन पर भी पूरा विवरण अंकित है.
कोशिश है कि हर जरूरतमंद तक पहुंचे मदद
उन्होंने बताया कि वॉर रूम में सहायता के लिए फोन आते ही टीम तुरन्त प्रभावित तक मदद पहुंचाने की कवायद में जुट जाती है. उसके साथ ही कार्यकर्ता खुद भी क्षेत्रों का दौरा कर प्रभावितों की पहचान कर रहे हैं, ताकि उन तक मदद पहुंचाई जा सके. खास तौर से बेघर लोगों, कच्ची बस्ती के निवासियों और घुमन्तु जाति के लोगों तक राहत पहुंचाने के बंदोबस्त हो रहे हैं. फिलहाल, संस्थाओं की तरफ से रोजाना करीब 2 हजार लोगों तक भोजन और राशन पहुंचाया जा रहा है.प्रशासन से भी मदद के इंतजाम
सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव के मुताबिक वॉर रूम पर देश भर से कॉल आते हैं. जन संगठन अपने स्तर पर तो इनको राहत के उपाय करते ही हैं. प्रशासन तक भी इनकी पीड़ा पहुंचाते हैं. हर रोज समस्याओं को लेकर प्रशासन और राज्य सरकार को पत्र के माध्यम से अवगत करवाया जाता है, ताकि उन तक मदद पहुंच सके. उनका यह भी कहना है कि लोगों के सामने सबसे ज्यादा समस्या राशन और शेल्टर को लेकर आ रही है. भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में बड़ी मात्रा में अनाज का भंडारण है, जिसे पीड़ितों तक पहुंचाया जाना चाहिए.
मौजूद है डेटा
जनसंगठन चूंकि गरीब और वंचित तबके के बीच रहकर काम करते हैं, लिहाजा उनके पास पहले से ही ऐसे लोगों का कुछ डेटा मौजूद है. इस डेटा की मदद से प्रभावितों तक मदद पहुंचाने में सहायता मिलती है. वहीं लॉक डाउन में राहत पहुंचाने के दौरान भी झुग्गी झोपड़ियों का सर्वे किया जा रहा है और डिटेल लिखी जा रही है कि उन्हें किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं.
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First published: April 18, 2020, 11:48 PM IST