लॉकडाउन की संजीवनी बूटी साबित हुई एनजीजीबी की बाड़ी

गांव वाले भी अभिभूत, कहा सोचा नहीं था इतनी उपयोगी होगी यह योजना
दुर्ग। महात्मा गांधी ने आत्मनिर्भर गांवों का मॉडल दिया था, इस पर मुकम्मल काम नहीं हो सका और लोगों को पलायन कर महानगरों में आजीविका की तलाश में जाना पड़ा। लॉक डाउन के दौरान परेशान मजदूरों की तस्वीरें एक बार पुन: महात्मा गांधी की याद दिलाती हैं। यहां छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने महात्मा गांधी के मंत्र पर सुराजी गांवों की कल्पना को जो मूर्त रूप दिए जाने की शुरुआत की। उसके नतीजे दिखने लगे हैं। बात ग्राम केसरा की करते हैं। यहां 14 एक? में नरवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना से जो बाडी लगाई गई, वो लोगों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुई। लॉक डाउन के दौरान 6 स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बाडी में अनेक तरह की सब्जी लगाई। लॉक डाउन की अवधि में भरपूर सब्जी हुई। खुद भी खूब सब्जी खाई और गांव के लोगों को भी ताजी सब्जी मिल गई। सब्जी में भी वैरायटी मिली है भिंडी, बरबट्टी, लौकी, बैंगन, कुम्हड़ा और कई तरह की भाजी इन्होंने लगाई है। जनपद सीईओ श्री मनीष साहू ने बताया कि हमारे किसान धान उगाते हैं लेकिन कोरोना जैसी आपदा से बचने प्रतिरोधक क्षमता बढााने सब्जी भी चाहिए।