बाबासाहेब भीम राव अम्बेडकर जी का जन्म दिवस जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नीलू चंद्रवंशी जी एंव सरपँच उपसरपंच के उपस्थिति में मनाया गया
![](https://sabkasandesh.com/wp-content/uploads/2020/04/IMG-20200415-WA0007.jpg)
कवर्धा सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-बाबासाहेब भीम राव अम्बेडकर जी का जन्म दिवस जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नीलू चंद्रवंशी जी एवँ साथ मे ग्राम पंचायत झलमला के सरपंच बाठु नारंगे एवँ उपसरपंच श्री जीतेन्द्र चंद्रवंशी पंच श्री मूरित चंद्रवंशी जी के उपस्तिथ में जयंती मनाया गया संबोधन नीलू चन्द्रवंशी जी ने कहा कि बाबासाहब के नाम से दुनियाभर में लोकप्रिय डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक समाज सुधारक, एक दलित राजनेता होने के साथ ही विश्व स्तर के विधिवेत्ता व भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे। भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक गरीब अस्पृश्य परिवार में हुआ था। भीमराव अम्बेडकर रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14वीं सन्तान थे। उनका परिवार मराठी था जो महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले मे स्थित अम्बावडे नगर से सम्बंधित था। उनके बचपन का नाम रामजी सकपाल था। वे हिंदू महार जाति के थे जो अछूत कहे जाते थे। उनकी जाति के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। एक अस्पृश्य परिवार में जन्म लेने के कारण उनको बचपन कष्टों में बिताना पड़ा।
जब 15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार बनी तो उसमें अम्बेडकर को देश का पहला कानून मंत्री नियुक्त किया गया। 29 अगस्त 1947 को डॉ. अम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना कि लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष नियुक्त किया गया। डॉ. अम्बेडकर ने मसौदा तैयार करने के काम में सभी की प्रशंसा अर्जित की। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपना लिया। अपने काम को पूरा करने के बाद बोलते हुए डॉ. अम्बेडकर ने कहा कि मैं महसूस करता हूं कि संविधान साध्य है, लचीला है पर साथ ही यह इतना मजबूत भी है कि देश को शांति और युद्ध दोनों समय जोड़ कर रख सके। वास्तव में मैं कह सकता हूं कि अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नहीं होगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करने वाला मनुष्य ही गलत था।
डॉ. अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधारक की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत में उनकी सामाजिक और राजनीतिक सोच को सम्मान हासिल हुआ। उनकी यह सोच आज की सामाजिक, आर्थिक नीतियों, शिक्षा, कानून और सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से प्रदर्शित होती है।
भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के कई सपने थे। भारत जाति-मुक्त हो, औद्योगिक राष्ट्र बने, सदैव लोकतांत्रिक बना रहे। अम्बेडकर विपुल प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की थी। जीवन के प्रारम्भिक कॅरियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत की। वो देश के एक बहुत बड़े अर्थशास्त्री थे। मगर देश उनके अर्थशास्त्री होने का उतना लाभ नहीं उठा पाया जितना उठाना चाहिये था। लोग अम्बेडकर को एक दलित नेता के रूप में जानते हैं जबकि उन्होंने बचपन से ही जाति प्रथा का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने जातिवाद से मुक्त आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ भारत का सपना देखा था मगर देश की गन्दी राजनीति ने उन्हें सर्वसमाज के नेता की बजाय दलित समाज के नेता के रूप में स्थापित कर दिया। औऱ कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए विस्तृत जानकारी दी।
विज्ञापन समाचार के लिए सपर्क करे-9425569117/7580804100