छत्तीसगढ़

IAS अफसर के ब्राह्मण कन्याओं पर आपत्तिजनक बयान से बवाल, FIR के साथ बड़े आंदोलन की तैयारीl

IAS अफसर के ब्राह्मण कन्याओं पर आपत्तिजनक बयान से बवाल, FIR के साथ बड़े आंदोलन की तैयारीl

छत्तीसगढ़ बिलासपुर भूपेंद्र साहू ब्यूरो रिपोर्ट/ मध्यप्रदेश के आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के कथित आपत्तिजनक बयान को लेकर छत्तीसगढ़ में ब्राह्मण समाज में गहरी नाराजगी है। इस बयान में उन्होंने ब्राह्मण समाज की कन्याओं पर टिप्पणी की थी, जिसके सामने आने के बाद सामाजिक संगठनों में जमकर उबाल है। समाज ने इसे सीधा अपमान और समुदाय की गरिमा पर चोट बताया है। यह मामला अब प्रशासनिक संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

ब्राह्मण संगठनों ने एसपी को सौंपा ज्ञापन, तत्काल कार्रवाई की मांग की गई हैं

गुरुवार को विश्व ब्राह्मण एकता महासंघ (छत्तीसगढ़) के प्रदेश अध्यक्ष पंडित मणि शंकर पांडे और सुदेश दुबे के नेतृत्व में एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुँचा। संगठन ने एसपी को ज्ञापन सौंपकर कहा कि वरिष्ठ पद पर बैठे अधिकारी का ऐसा बयान बिल्कुल अस्वीकार्य है। उन्होंने इसे समाज की बेटियों के सम्मान का सवाल बताते हुए संतोष वर्मा के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में साफ कहा गया है कि ब्राह्मण समाज ऐसे अमर्यादित और अभद्र कथनों को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।यह विवाद सिर्फ सामाजिक-धार्मिक भावनाओं से नहीं जुड़ा है, बल्कि प्रशासनिक मर्यादा का भी विषय बन गया है। विरोध कर रहे संगठनों का कहना है कि जब उच्च पदस्थ अधिकारी ही ऐसी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करेंगे, तो आम जनता के बीच शासन-प्रशासन की छवि क्या बनेगी? अधिकारियों से पद के अनुरूप अनुशासन और संतुलन बनाए रखने की उम्मीद की जाती है, लेकिन संतोष वर्मा का यह बयान पूरी तरह से मर्यादा के खिलाफ है।

ब्राह्मण संगठन ने इस मामले को महज एक बयान से कहीं ज्यादा समुदाय की प्रतिष्ठा से जुड़ा संवेदनशील विषय बताया है है। संगठन ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और जरूरत पड़ने पर एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया जाए। यह भी मांग उठी है कि सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक स्पष्ट नीति लेकर आए, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी या सार्वजनिक पदाधिकारी किसी भी समुदाय पर इस तरह की टिप्पणी करने की हिम्मत न करे। संगठन ने शासन को चेताया है कि अगर ठोस कदम नहीं उठाए गए और मामला केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित रहा, तो राज्यव्यापी आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सामाजिक तनाव को रोकने के लिए स्पष्ट संदेश दे कि किसी भी वर्ग की गरिमा को ठेस पहुँचाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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