नौ सिखिया, जय हिन्द, रेशु सतराम जेठमलानी, सेवा एक नई पहल

नौ सिखिया, जय हिन्द, रेशु सतराम जेठमलानी, सेवा एक नई पहल।
छत्तीसगढ़ बिलासपुर भूपेंद्र साहू ब्यूरो रिपोर्ट। चतुर व्यवसायी बहुत खुश था उसको अंजाने में किसी खदान के मजदूर ने एक बड़ा सा हीरा सस्ते में दे दिया था ,,,,,,
पैरों से जमीन तो तब खिसकी जब शहर के कुशल जौहरी ने देख परख बताया कि हीरे में एक महीन सी दरार है जो लेंस से ही दिखती है अगर हमने हीरे को तराशा तो टुकड़े टुकड़े में बंट जाएगा और आपको कोई कीमत नहीं मिलेगी ,,,,,
निराश व्यापारी घूमते खोजते एक पुराने कारीगर के पास गया उसने भी वही बात दोहराई ,,,,,,,
कोई बात नहीं ,, तराश दो जो होगा देखा जाएगा ,,, उस बूढ़े कारीगर ने एक लड़के को आवाज दी चंपक इधर आ इस हीरे को दो भागो में तराश ,,,,,,
लड़के ने औजार उठाए और एक बार में सुरक्षित दो भाग कर दिए ,,,,,,
वाह जी वाह व्यापारी ने चंपक की पीठ थप थपाते हुए कारीगर से पूछा यह लड़का इतना एक्सपर्ट कैसे है कितने दिनों से ये सब कर रहा है ~ ,,,,,
अभी चौथा दिन है इसे काम पर आए इसके पहले खाली पीली घूमता रहता था ,,,,,,,
फिर एक बार में यह काम कैसे संभव कर दिया ,,,, विस्मित व्यापारी ने पूछा ?
असल में इस नौसिखिए को मालूम ही नहीं कि जिसे वह काट रहा है उसकी कीमत क्या है इसलिए इसके हाथ कांपे नहीं कोई जानकार रहता तो हाथ भी नहीं लगता इस बेशकीमती हीरे को,,,,,
आजादी की सबसे बड़ी कीमत चुकाती इस विश्व की सबसे पुरानी और विकसित सभ्यता पर बंटवारे की जो दरार पड़ी उसको पाटते पाटते दो पीढ़ियों ने अपने आपको न्योछावर कर दिया ,,,,,,,
आरक्षण लिया न सब्सिडी मांगी न क्षेत्र विशेष के लिए ही अड़े और न राजनीतिक हिस्सेदारी में अपना अनुपात मांगा ,,,,
राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय राजनीति के पारंगत जौहरी जानते है इस कौम की कीमत और इसलिए हर मंच पर रिस्पेक्ट भी करते है चाहे पक्ष हो या विपक्ष ,,,,,,,
पर इस नौसिखिए राजनीतिज्ञ को क्या मालूम विभाजन की दरार पड़े इन हीरों की कीमत ~ जिसने एक मौखिक बयान से देश विदेश के सिंधी भाषी हिंदुओं को एक स्वर एक मंच पर ला दिया।
जय हिंद
रेशु सतराम जेठमलानी।
सेवा एक नई पहल।



