बेमेतरा जिला का यह कैसा सुशासन – दिव्यांग को 2 की बजाय 12 किमी का सफर

बेमेतरा जिला का यह कैसा सुशासन – दिव्यांग को 2 की बजाय 12 किमी का सफर
May 22, 2025
बेमेतरा जिला का यह कैसा सुशासन – दिव्यांग को 2 की बजाय 12 किमी का सफर
दिव्यांग हितग्राहीयो को शासकीय सेवाओं का लाभ लेने की सजा भुगतना पड़ा साय साय
मुद्दा जिलें के जनपद पंचायत साजा का
ऐसे में क्या और किस बात का सुशासन
अनिल सेन/बेमेतरा/साजा – जहां एक ओर पूरा प्रदेश सरकार व शासन प्रशासन गांव गांव में जाकर लोगों को उनकी मांगों और समस्याओं का समाधान करने शिविर लगा रहा हैं, सीएम स्वयं गांवों में लोगों के बीच जाकर मिल रहे है। वहीं बेमेतरा जिले में अलग ही सुशासन व समाधान किया जा रहा। जहां अधिकारियों की मेहरबानी से दिव्यांग हितग्राहीयो को शासकीय सेवाओं को प्राप्त करने के लिए कम दूरी, समीप को छोड़कर लंबी दूरी तय करना पड़ रहा हैं। तो फिर राज्य सरकार व उनके अधिकारियों द्वारा बड़ी बड़ी और लंबी लंबी डींगे क्यों हाकी जा रही हैं, जब जमीनी हकीकत में उनकी कहीं बातें कुछ और ही बया कर रही है। इस पर ही तो बोला जाता हैं जय हो सुशासन, जय हो जिला प्रशासन बेमेतरा।
ज्ञात हो कि 21 मई को साजा ब्लाक के डोंगीतराई ग्राम में समाधान शिविर संपन्न हुआ, जिसमें ग्राम बेलतरा के एक दिव्यांग हितग्राही श्रीमती परेटन बाई साहू को बैटरी चलित ट्राई साइकिल दिया गया। जो कि अपने ग्राम से 12 कमी दूर तय कर ग्राम डोंगीतराई के शिविर में अपने पति मनहरण साहू के साथ आती हैं। जबकि इसके पति मनहरण साहू भी दृष्टिहीन है।
मुद्दे की बात – वह दिव्यांग हितग्राही 21 मई को अपने ग्राम से 11-12 किलोमीटर दूरी तय कर साजा आता हैं, जहां उसे बैटरी चलित ट्राई साइकिल प्राप्त होता हैं। वहीं दो दिन पूर्व उस दिव्यांग हितग्राही के ग्राम के समीप ही 19 मई को ग्राम बेलगांव का समाधान शिविर हुआ, जो महज उसके ग्राम से 2-3 किलोमीटर दूरी था। जिसमे इसको उस सेवा का लाभ नहीं दिया गया।
फिर किस बात का सुशासन – राज्य सरकार द्वारा अपनी उपलब्धि को लेकर जनता के पास जाकर उसे गिनाया जा रहा हैं, वाहवाही लूटी जा रही हैं, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जहां अधिकारियों की मेहरबानीयों व गलतियों का दुष्प्रभाव सरकार को झेलना पड़ेगा। एक दिव्यांग हितग्राही को जब 2 किमी दूर शिविर में उनको सुविधाएं दी जा सकती थी, लेकिन उनको 12 किमी दूरी तय कराया गया। ऐसे में सरकार की सुशासन को उनका ही सिस्टम व नियंत्रण करने वाले चुना लगाने में लगे हैं।
सोच व चिंता का विषय – खास बात यह है कि उक्त हितग्राही की पत्नी विकलांग जिसको बैटरी चलित ट्राई साइकिल प्राप्त होता हैं, वहीं उसका पति दृष्टिहीन, तेज कड़ी धूप में 11-12 किलोमीटर दूरी तय कर आना फिर वापस जाना, वह भी खुद के व्यवस्था में। यह एक सोचनीय व चिंता का विषय हैं। साथ ही यह एक सवाल भी हैं कि यह किस प्रकार का सुशासन, समाधान चलाया जा रहा हैं।
सवाल – उक्त हितग्राही को 2-3 किलोमीटर दूरी छोड़कर 11-12 किलोमीटर दूरी तय करना क्या सही हैं, अगर गलत हैं तो गलती किसकी, क्या उस गलती करने वाले पर कार्यवाही होगी।
मुद्दे के साथ सबक – उक्त मुद्दा जो दिव्यांग हितग्राहीयो के साथ हुआ वह गलत तो हैं ही, साथ ही सरकार व उनकी प्रशासनिक त्रंत्र की पोल खोल कर रख देता हैं। इन सब के बाद भी यह घटना एक मुद्दे के साथ सबक भी हैं कि जिन जन प्रतिनिधियों पंच, सरपंच, जनपद, जिला को जनता ने अपनी भलाई, हित व सुविधाओं के लिए चुना हैं वह भी अपने कार्य के प्रति गंभीर नहीं हैं। इन छोटी सी बात का भी ध्यान नहीं रखा जाता। वे तो सिर्फ फोटोबाजी और वाहवाही में व्यस्त हो जाते है।