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Chhattisgarh Hanuman Temple: भारत का एक मात्र ऐसा हनुमान जी का अनोखा मंदिर, जहां होती है स्त्री रूप में पूजा, दर्शन मात्र से दूर हो जाते संकट

Chhattisgarh Hanuman Temple | Image Source | IBC24

बिलासपुर: Chhattisgarh Hanuman Temple:  छत्तीसगढ़ की पावन धरती जहाँ धर्म, आस्था और चमत्कारों की गूंज सदियों से सुनाई देती रही है वहीं बिलासपुर ज़िले से लगभग 30 किलोमीटर दूर रतनपुर नामक एक ऐतिहासिक नगरी स्थित है। इस नगर को कभी छत्तीसगढ़ की राजधानी कहा जाता था और आज यह ‘धर्मनगरी’ के नाम से विख्यात है। रतनपुर देवी महामाया के शक्तिपीठ के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यही नगर एक और चमत्कारी स्थल के लिए जाना जाता है गिरजाबंद हनुमान मंदिर जहाँ भगवान हनुमान की पूजा देवी के रूप में की जाती है।

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देवी रूप में बजरंगबली की अनोखी आराधना

Chhattisgarh Hanuman Temple:  हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। पर क्या आपने कभी उन्हें स्त्री रूप में पूजे जाते देखा या सुना है? गिरजाबंद हनुमान मंदिर इस अनोखी परंपरा का केंद्र है, जहाँ वीर बजरंगबली को देवी स्वरूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की मूर्ति में हनुमान जी के बाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ दिखता है, और मूर्ति में स्त्री स्वरूप की झलक स्पष्ट दिखाई देती है।

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रामायण काल से जुड़ी मान्यता

Chhattisgarh Hanuman Temple:  इस अद्भुत परंपरा की जड़ें रामायण काल में जाकर मिलती हैं। जब रावण की पराजय निश्चित जान अहिरावण छलपूर्वक श्रीराम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गया था तब विभीषण के कहने पर हनुमान जी वहां पहुँचे। पाताल लोक में अहिरावण अपने कुलदेवी निकुम्भला और कामदा के समक्ष श्रीराम और लक्ष्मण की बलि देने वाला था। हनुमान जी ने देवी का रूप धारण कर उनके शरीर में प्रवेश किया और बलि से पहले ही अहिरावण का वध कर दिया। उसी देवी स्वरूप में आज भी यहां उनकी आराधना होती है।

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मंदिर स्थापना की कथा

Chhattisgarh Hanuman Temple:  मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक और रोचक कथा भी है। रतनपुर के एक राजा और उनकी रानी को कुष्ठ रोग हो गया था। इलाज के तमाम प्रयास विफल रहे। तभी राजा को स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन देकर बताया कि महामाया मंदिर के पास स्थित चंडिका कुंड में उनकी एक दिव्य मूर्ति है, जिसे गिरजा कुंड के समीप स्थापित करें और वहां स्नान करें  रोग से मुक्ति मिल जाएगी। राजा ने ऐसा ही किया और चमत्कारिक रूप से दोनों रोगमुक्त हो गए। तभी से इस मंदिर की ख्याति फैल गई।

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गिरजाबंद नाम कैसे पड़ा?

Chhattisgarh Hanuman Temple:  यह मंदिर जंगल के समीप स्थित गिरजा कुंड के पास स्थित होने के कारण पहले इसका नाम गिरजावन पड़ा। बाद में समय के साथ यह नाम बदलकर गिरजाबंद हो गया। इस पावन स्थल तक पहुंचने के लिए महामाया मंदिर से मात्र कुछ ही दूरी है, परंतु पौराणिक मान्यता के अनुसार हनुमान जी को यहाँ तक आने में 11 दिन लगे थे। जिन स्थानों पर उन्होंने विश्राम किया, वहाँ भी आज मंदिर स्थापित हैं।

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अर्धनारीश्वर स्वरूप की मान्यता

Chhattisgarh Hanuman Temple:  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी भगवान शंकर के अवतार माने जाते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग गिरजाबंद मंदिर में उनकी पूजा अर्धनारीश्वर स्वरूप में होने की मान्यता भी मानते हैं — जहाँ शक्ति और शिव दोनों का संतुलन है। यह मंदिर स्त्री और पुरुष दोनों ऊर्जा के संगम का प्रतीक है।

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आस्था का केंद्र

Chhattisgarh Hanuman Temple:  आज गिरजाबंद हनुमान मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारतवर्ष के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है। यहाँ हर मंगलवार और शनिवार को विशेष भीड़ होती है। भक्तजन नारियल बांधकर मनोकामनाएं मांगते हैं, और मानते हैं कि यहां मांगी गई हर मुराद अवश्य पूरी होती है। मंदिर का प्रारंभिक स्वरूप साधारण था, परंतु अब इसे भव्य रूप दिया जा रहा है। इसमें देवी-देवताओं की सुंदर आकृतियाँ उकेरी गई हैं और नक्काशी का कार्य मन मोह लेता है।

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