CG Ki Baat: सदन में ‘महतारी’ पर मचा शोर.. पॉलिटिक्स चारों ओर, क्यों घटी हितग्राहियों की संख्या, सरकार पर लगाए आरोपों की क्या है सच्चाई..?

CG Ki Baat: रायपुर। मंगलवार को प्रदेश का बजट पेश हुआ और बुधवार को बजट पर चर्चा की शुरूआत हुई। चर्चा के दौरान विपक्ष ने सदन में महतारी वंदन योजना को लेकर ना केवल आरोप लगाया बल्कि सरकार की नीयत पर भी सवालिया निशान लगाए। विपक्ष का सवाल है कि जिस योजना के बूते बीजेपी ने सरकार बनाई, 3-3 चुनावों में लीड ली, चुनाव पूरे होते-होते उसी महतारी वंदन योजना के हितग्राहियों की संख्या में कमी कैसे हो गई। ऐसा क्यों हुआ, इसकी जांच क्यों नहीं की गई, इसका जिम्मेदार कौन है? सवाल ये है कि क्या विपक्ष सरकार की इस फ्लैगशिप योजना में कमी निकालकर उसे बैकफुट पर लाना चाहती है।
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2023 में हुए चुनाव में महतारी वंदन योजना गेम चेंजर रही है। प्रदेश में जारी योजनाओं में सर्वाधिक हितग्राहियों वाली, इस महत्वाकांक्षी योजना पर विपक्ष ने गंभीर सवाल उठाए। विधानसभा में कांग्रेस विधायक उमेश पटेल के सवाल पर मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने सदन में बताया कि, पंजीयन के वक्त हितग्राहियों की संख्या 70 लाख 27 हजार 154 थी। अब हितग्राहियों की संख्या घटकर 69 लाख 63 हजार 621 हो गई। यानि हितग्राहियों की संख्या 63 हजार 533 कमी आई है। बताया गया कि संख्या घटने की वजह हितग्राहियों की मृत्यु, लाभ का त्याग कर देना, और जांच में एक हितग्राही के दो आवेदन वाले प्रकरण में नाम काटे जाना है।
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नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने हितग्राहियों की मृत्यु का आंकड़ा मांगा, इसके अलावा बुजुर्ग महिलाओं को वृद्धा पेंशन के अंतर की राशि दिए जाने की बात बताई गई। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने हितग्राहियों की संख्या कम होने को लेकर अब तक कोई पुख्ता जांच ही नहीं की है इसी मुद्दे पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया, विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने योजना के नाम पर महिलाओं को धोखा दिया है। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने दावा किया कि, अब जल्द योजना के लिए फिर से पोर्टल खोला जाएगा, ताकी नई महिला हितग्राहियों को लाभ मिले।
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कुल मिलाकर विपक्ष का सवाल है कि सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना में साल भर में साढ़े तिरसठ हजार हितग्राही घट गए, जिसकी कोई जांच नहीं की गई। योजना में फर्जी हितग्राही पकड़े गए उसकी भी कोई जिम्मेदारी तय नहीं कि गई। दूसरी तरफ इस योजना का बीजेपी को विधानसभा, लोकसभा और निकाय चुनावों में लाभ हुआ है। सवाल ये कि चुनाव खत्म होने के बाद इतनी बड़ी संख्या में हितग्राही घटने की जांच होगी? गड़बड़ियों के लिए कोई जिम्मेदारी तय होगी?