Ajay Chandrakar Angry on Congress : ‘कांग्रेस नेताओं के पास कोई काम नहीं, पेपर पढ़कर देते हैं बयान’… इस मुद्दे को लेकर बरसे अजय चंद्राकर
रायपुरः Ajay Chandrakar Angry on Congress छत्तीसगढ़ भाजपा के दिग्गज नेता और कुरूद से विधायक अजय चंद्राकर ने एक बार फिर कई मुद्दों पर कांग्रेस को घेरा। उन्होंने लोकसेवा आयोग के दफ्तर में सीबीआई की दबिश को लेकर कहा कि परीक्षा की विश्वसनीयता छत्तीसगढ़ से ही कठघरे में खड़ी हुई हुई है। गड़बड़ियों के समय कांग्रेस का शासन था और इसी समय छत्तीसगढ़ में परीक्षाओं की में गड़बड़ी शुरू हुई थी। NEET और CGPSC में हुई गड़बड़ियों को लेकर कांग्रेस की विचार अलग-अलग है। पीएम मोदी की गारंटी थी कि हम सीजीपीएससी घोटाले की जांच करायेंगे। अब जांच शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ के बेरोज़गारों को जल्द ही न्याय मिलेगा।
Ajay Chandrakar Angry on Congress छत्तीसगढ़िया ओलंपिक बंद होने के संबंध में विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक को लेकर सवाल लगे हुए हैं। सदन में नए तथ्य सामने आएंगे। जब तक हम इसे परिणाम तक नहीं ले जाएंगे, तब तक सवाल लगते रहेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का पैसा और राजीव युवा मितान क्लब का पैसा एक ही जगह खर्च हुआ हैं। दोनों के पैसे का जब तक हिसाब-किताब नहीं होता, तब हम चुप नहीं बैठेंगे।
कांग्रेस के नेता केवल पेपर पढ़कर देते हैं बयान
पखांजूर के आवासीय छात्रावास में नाबालिग के गर्भवती होने के मामले में कांग्रेस की ओर गठित जांच कमेटी को लेकर अजय चंद्राकर ने कहा कि छात्रावास की अधीक्षिका निलंबित हुई है। मलेरिया के मामले में मंत्री ने खुद बीजापुर का दौरा किया है। इससे स्पष्ट कि बीजेपी की सरकार उन मामलों में गंभीर है। सभी चीजें सामने आएंगी। कोई भी तथ्य ऐसा नहीं, जिसे छिपाया जाए। कांग्रेस के पास कोई काम नहीं है। उनके नेता केवल पेपर पढ़कर बयान देते हैं।
कांग्रेस ने किया संसदीय परंपराओं को दूषितः अजय
कांग्रेस की ओर मानसून सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की जा रही है। इसे लेकर विधायक चंद्राकर ने कहा कि चरणदास महंत को सोचना चाहिए। भूपेश बघेल ने कितने दिनों का सत्र बुलाया था। विधानसभा अध्यक्ष थे तो उनको भूमिका क्या थी? ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए जिसके लिये ख़ुद दोषी हो। सबसे छोटा सत्र बुलाने का श्रेय अजीत जोगी और भूपेश बघेल के पास हैं। इन्होंने परंपराओं को दूषित किया हैं। उन्हें बोलने का कोई अधिकार नहीं।