Navratri 4th Day Maa Kushmanda: नवरात्रि का चौथा दिन आज, जानिए कौन है माता कूष्मांडा जिन्होंने की थी ब्रह्मांड की रचना
Navratri 4th Day Maa Kushmanda: 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। आज 11 अप्रैल को नवरात्रि का चौथा दिन है। जिसका समापन 17 अप्रैल को होगा। नवरात्रि के चौथ दिन मां के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा- अर्चना की जाती है। अष्टभुजाधारी मां कूष्मांडा को शक्तिस्वरूप माना गया है। कहा जाता है कि सूर्यदेव के ऊपर मां कूष्मांडा का आधिपत्य है। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। लेकिन यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की उत्पत्ति कैसे हुई थी।
पहले हुई तीन देवियों की उत्पत्ति
बता दें कि पौराणिक कथा के अनुसार, जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब एक ऊर्जा, गोले के रूप में प्रकट हुई। इस गोले से बेहद तेज प्रकाश उत्पन्न हुआ और देखते ही देखते ये नारी के रूप में परिवर्तित हो गया। माता ने सबसे पहले तीन देवियों महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती को उत्पन्न किया।
कहा जाता है कि महाकाली के शरीर से एक नर और नारी उत्पन्न हुए। नर के पांच सिर और दस हाथ थे, उनका नाम शिव रखा गया और नारी का एक सिर और चार हाथ थे, उनका नाम सरस्वती रखा गया। महालक्ष्मी के शरीर से एक नर और नारी का जन्म हुआ। नर के चार हाथ और चार सिर थे, उनका नाम ब्रह्मा रखा और नारी का नाम लक्ष्मी रखा गया। फिर महासरस्वती के शरीर से एक नर और एक नारी का जन्म हुआ। नर का एक सिर और चार हाथ थे, उनका नाम विष्णु रखा गया और महिला का एक सिर और चार हाथ थे, उनका नाम शक्ति रखा गया।
Navratri 4th Day Maa Kushmanda: इसके बाद ही माता कूष्मांडा ने ब्रह्मा को सृष्टि की रचना, विष्णु को पालन और शिव को संहार करने का जिम्मा सौंपा। इस तरह संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना मां कूष्मांडा ने की थी। तभी से ही ब्रह्मांड की रचना करने की शक्ति रखने वाली माता को कूष्मांडा के नाम से जाना गया। जिसे मां दुर्गा के चौथे स्वरूप के रूप पूजा जाता है।