Maa Sundha Mandir: महाराणा प्रताप से जुड़ी है सुंधा पहाड़ियों में स्थित इस मंदिर की कहानी, त्रिपुर राक्षस का वध करने आदि देव ने किया था तप
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Maa Chamunda Devi Mandir: राजस्थान के जालोर के सुंधा पहाड़ियों में स्थित मां सुंधा का मंदिर 900 साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। यह मंदिर हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल से 20 किमी दूर है। अरावली की पहाड़ियों में स्थित इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। इसके चारों तरफ कलकल बहता झरना, मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाता हैं। नवरात्रि ही नहीं हर समय यहां भक्तों का भारी भीड़ लगी रहती है।
आदि देव ने सुंधा पर्वत पर किया था तप
कहा जाता है कि त्रिपुर राक्षस का वध करने के लिए आदि देव ने सुंधा पर्वत पर ही तप किया था। इसके अलावा चामुंडा माता की मूर्ति के पास एक शिवलिंग भी स्थापित है। मंदिर से जुड़ा एक और इतिहास है, जो इसकी महत्वता को बढ़ा देता है। कहा जाता है, कि साल 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध के बाद मेवाड़ शासक महाराणा प्रताप ने अपने कष्ट के दिनों में सुंधा माता की शरण ली थी। जालोर के चौहान शासकों का सुंधा माता के प्रति विशेष आदर भाव रहा है। इसी श्रद्धा के कारण उदयसिंह के पुत्र चाचिगदेव ने इस मंदिर का निर्माण संवत 1312 में करवाया था।
माता सती की गिरी थी नासिका
कहते हैं कि यहां सती की नासिका गिरी थी। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है। ऐसे में विभिन्न राज्यों से सुंधा माता के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने साथ खंडित मूर्तियां साथ लाते हैं और उनको पहाड़ पर छोड़कर जाते हैं। सुंधा पर्वत पर एक गुफानुमा भंवर मां के सिर की पूजा होती है। नवरात्रि के समय यहां पर मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।