#MP Politics: ‘स्पेशल-29’ की ललकार… अंतिम गढ़ पर सीधा वार! चुनावी दौड़ में क्या कांग्रेस दे पाएंगी भाजपा को मात?
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#MP Politics: भोपाल। लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान से पहले ही बीजेपी ने एमपी की सभी 29 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का एलान कर दिया है। 29 सीटों में से 14 सीट पर बीजेपी ने नए प्रत्याशी उतारे है। यानी बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी आधी टीम बदल दी। 6 सीटों पर महिला प्रत्याशी को उतारा है। अभी की स्थिति पर गौर करें तो कांग्रेस और बीजेपी के 10 सीटों पर प्रत्याशी आमने सामने है। क्योंकि कांग्रेस 19 सीटों पर पहले आप.. पहले आप की रणनीति पर काम कर रही थी।
बीजेपी जहां इस बार कांग्रेस के अंतिम गढ़ को ढहाने के लिए कमलनाथ को उनके घर में ही 2 बार चुनौती देने वाले विवेक बंटी साहू को उतारा है तो कांग्रेस के पास 2019 से बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है। राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार है तो कांग्रेस अपने संकटमोचनों के अपनी ढपली अपने राग से परेशान भी है। बहरहाल ये देश का चुनाव… पर मध्यप्रदेश में वोर्टस किसके साथ और दोनों दलों के दावों में कितना दम आज जानेंगे।
अपनी ढपली अपना राग कहावत तो अपने सुनी ही होगी इन दिनों कांग्रेस के सीनियर नेताओं पर ये एकदम फिट बैठती है। कोई कह रहा है कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा, कोई कह रहा है मैं आमुक नेता के सामने लडूंगा चुनाव, कोई कह रहा है मैं अपना प्रोफेशन कैसे छोड़ दूं। कोई कह रहा है विधानसभा में मेरा कहना माने होते तो जीत गए होते तो कोई कह रहा है कि छिंदवाड़ा छोडूंगा नहीं। ये सारे संकटमोचक नेता पार्टी फोरम पर न कह कर सार्वजनिक बयान दे रहे हैं। लेकिन पीसीसी चीफ को ये टीवी अखबार की उड़ाई बात लगती है।
#MP Politics: सबसे अनुशासित पार्टी की दुहाई देने वाली बीजेपी में भी बयानवीरों की कमी नहीं है। कैलाश विजयवर्गीय खुल कर भले न बोले हो पर इंदौर के सांसद को ये बता दिया कि उनका टिकट कट रहा है। उधर कांग्रेस से बीजेपी आई इमारती देवी ये साफ कहती है कि जब तक कांग्रेस में थी तो जीतती थी पर अब ऐसा नहीं हो रहा है। सवाल ये है कि 2024 की इस महातैयारी के पहले इन बयानवीर नेताओं का बोलबचन कहीं इनकी पार्टी का नुकसान न कर दें… क्योंकि जिस तरह एक के बाद एक बयान सामने आ रहे हैं, वो तो यहीं दिखाते है कि बड़े नेताओं पर पार्टी का अनुशासन लागू नहीं होता।