सनातन के नाम पर भावनाएं भड़का रहे पांडेय: शर्मा
सनातन के नाम पर भावनाएं भड़का रहे पांडेय: शर्मा

भिलाई। समाजवादी जनता पार्टी (चंद्रशेखर) के राष्ट्रीय महासचिव आर पी शर्मा ने पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडे द्वारा सनातन के संबंध में सोशल मीडिया पर कही गई बातों पर आपत्ति की है। आरपी शर्मा ने जारी बयान में कहा कि श्री पांडेय का कहना था कि सनातन को वही मानता है जो पूजा पाठ करता है। यहां सनातन का मतलब अपने चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है।
श्री शर्मा ने जारी बयान में कहा कि मेरा मानना है सनातन आदिकाल से चल रहा है जिसमें हवन प्रथा नहीं बल्कि सनातन का उद्देश्य उपदेश और समाज सुधार होता है। जो लोग रोजी-रोटी के लिए सुबह से निकल जाते हैं और शाम को बेहाल होकर घर में आकर बाल बच्चे के साथ रहते हैं और सुबह उठकर फिर काम पर चले जाते क्या वह सनातनी नहीं है?
श्री शर्मा ने कहा कि सनातन धर्म का राजनीति में उपयोग करना गलत है। सनातन बहुत शालीनता और ईमानदारी से निष्ठा व मानवता का संदेश देता है। सनातन में तो चींटी को भी मारना भी पाप समझा जाता हैं। कर्तव्य के आधार पर लोग कहते हैं कि अच्छा कर्म किए थे कि मनुष्यता में तुम्हें जन्म हुआ है बुरे कर्म करोगे तो किसी और योनि में जन्म होगा। लेकिन बाद में समाज को जाति व्यवस्था में बांट दिया गया है। आर पी शर्मा ने प्रेम प्रकाश पांडेय को संबोधित करते हुए कहा है कि जब आप 90 के दशक में विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे तब मैं भी एक प्रत्याशी था।
तब आपने ना तो राम जी का नारा दिया ना हनुमान जी का और सनातन का नारा दिया। आप ने यह नारा दिया था कि उत्तर प्रदेश बिहार के लोग अगर आरपी शर्मा को वोट देते हो वह जीतेंगे नहीं और बिहार की उत्तर प्रदेश के लोग संगठित होकर अगर वोट देंगे तो मैं जीतूंगा और क्षेत्रीयवाद से लडूंगा और उत्तर प्रदेश के लोगों का भला करूंगा। तब आपने प्रचार किया कि आरपी शर्मा जीतेंगे नहीं वोट लेंगे वह वोट बर्बाद हो जाएगा। इसलिए हमें दीजिए लोगों ने आपकी बात मानी दूसरे बार भी आपकी बात मानी। उस समय आपके सनातन,राम जी और हनुमान जी के नारे कहां थे।
आप सनातन के नाम पर सूरज को भी अलग करेंगे गंगा का पानी और शिवनाथ का पानी भी अलग करेंगे हवा का भी रुख बदलेंगे। जो सनातन शब्द है ऋषि मुनियों का है। यहां सरकार की भाषा धर्म गुरु बोल रहे हैं। क्या यही सनातन है यही मानवता है?
आर पी शर्मा ने कहा कि धर्म को राजनीति से अलग रखना चाहिए। धर्म एक अलग पहचान है और राजनीति एक अलग क्रियाकलाप। धर्म के नाम पर राजनीतिक लड़ाई जीती जा सकती है ना ही सरकार चलाई जा सकती है।
आर पी शर्मा ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि भिलाई जैसी शांतिप्रिय विधानसभा में इस तरह की भावनाओं को उभार कर जनमानस और खास कर नौजवानों को अग्निकुंड में ना डाला जाए। देश में क्या हो रहा है आज किसी से छिपा हुआ नहीं है।
एक बात और है कि पहले भारतीय जनता पार्टी मजबूत नहीं थी आज मजबूत है संपन्न है। श्री शर्मा ने कहा कि श्री पांडेय याद रखें कि 1974 के आंदोलन के बाद 1977 में गांधी मैदान में आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई और इमाम बुखारी भी और नानाजी देशमुख सभी लोग एक मंच पर जयप्रकाश जी के नेतृत्व में इंदिरा गांधी के विरोध बोल रहे थे। इंदिरा गांधी भी मजबूत थी। तो क्या आप यह मानकर चल रहे हैं कि आप सत्ता में आ गए हैं तो आपका विरोध करना लोग बंद कर देंगे तो याद रखिए ऐसा हुआ है ना होगा।