चाणक्य ने अपने लेखन ’अर्थशास्त्र’ में कुछ अध्याय अपराध विवेचना पर भी लिखे थे। उनमें आकस्मिक मृत्यु, हत्या, चोरी, नकबजनी आदि जैसी घटनाओं की विवेचना कैसे की जाए
2300 वर्ष पूर्व चाणक्य ने अपने लेखन ’अर्थशास्त्र’ में कुछ अध्याय अपराध विवेचना पर भी लिखे थे। उनमें आकस्मिक मृत्यु, हत्या, चोरी, नकबजनी आदि जैसी घटनाओं की विवेचना कैसे की जाए, उसका विस्तार से विवरण दिया था।
इनका विश्लेषण करने पर पता चलता है कि विवेचना के scientific तरीके सदियों से policing का अभिन्न अंग रहे हैं और आज भी उनका महत्व उतना ही है।
इसी विषय पर Panjab University, Chandigarh के Research Journal में IG Sarguja, श्री राम गोपाल गर्ग का निबंध छपा है। (अगर आप उसे पढ़ना चाहते हैं तो कृप्या पेज 41 से 52 अवलोकन करने का कष्ट करें)
श्री गर्ग के तरकश में यह एक और तीर है। इससे प्रतीत होता है कि IG Sarguja ना केवल practical policing के गुर अच्छे से जानते हैं बल्कि Research तथा Academics में भी उनकी गहरी रुचि है। जिसको सराहते हुए देश के प्रतिष्ठित विश्व विद्यालय Panjab University द्वारा भी उनके काम को अपने Journal में जगह दी गई है।