छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

एक ही विभाग में बरसों से जमें अधिकारी-कर्मचारियों बढ रहा है भ्रष्टाचार टेबल रोटेशन नियम का नगर निगमों में नहीं हो रहा पालन

भिलाई। दुर्ग जिले के नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों में अधिकारी और कर्मचारियों के लिए लागू टेबल रोटेशन नियम का पालन नहीं होने से भ्रष्टाचार को बढावा मिल रहा हैक्योंकि एक ही विभाग में कई कई बरसों से अधिकारी और कर्मचारी जमे हुए है। एक ओर जहां कईं अधिकारी व कर्मचारियों को दूसरे विभाग के कामकाज सीखने और समझने का मौका भी नहीं मिल पा रहा है।

जिले के  प्राय: हर नगर निगम और नगर पालिका में कर्मचारियों के टेबल रोटेशन को लेकर शासन के दिए गए फरमान की अनदेखी हो रही है। इससे कईं कर्मचारी एक ही विभाग के कार्य करने और उसकी जानकारी रखने तक सिमटकर रह गए हैं। एक समयावधि के बाद अंतर विभागीय फेरबदल नहीं किए जाने से कर्मचारियों को दूसरे विभाग के कार्यों की दक्षता हासिल नहीं हो पा रही है। वहीं किसी भी कर्मचारी के लंबे समय तक एक ही टेबल में जमे रहने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

इसके अलावा इन निकायों में प्रमुख अधिकारियों और चुने हुए जनप्रतिनिधियो का चमचागिरी करने वाले और उनके चहेतो को मलाईदार विभाग मिलता है। दुर्ग जिले में चार नगर निगम है। इनमें से भिलाई, रिसाली और भिलाई. चरोदा नगर निगम में साल भर पहले नवनिर्वाचित परिषद ने काम संभाला है। इन तीनों नगर निगम में कर्मचारियों के टेबल रोटेशन के फरमान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। शासन का स्पष्ट निर्देश है कि निकायों में कार्यरत हर एक कर्मचारी सभी विभागों के कार्यों को संपादित करने में पारंगत रहे। इसलिए दो से तीन साल के भीतर एक ही निकाय के पदस्थ कर्मचारियों को रोटेशन की नीति अपनाकर दूसरे विभाग का दायित्व सौंपा जाना चाहिए। लेकिन ऐसा किसी भी नगर निगम में नहीं हो पा रहा है।

एक जानकारी के अनुसार  भिलाई और चरोदा नगर निगम में कुछ कर्मचारी ऐसे है जो अपनी सेवाकाल की शुरुआत से एक ही विभाग का कामकाज संभाल रहे हैं। इससे इन निकायों की कार्य संस्कृति में कोई नयापन या कसावट देखने को नहीं मिल पा रहा है। टेबल रोटेशन नहीं होने से किसी एक विभाग में पदस्थ कर्मचारी को राजस्वए संपदाए स्वास्थ्यए खाद्यए उद्यानए वित्त एवं लेखाए जन्म मृत्युए सामाजिक पेंशन या फिर सामान्य प्रशासन विभाग संबंधी कामकाज को सीखने और समझने का मौका नहीं मिल पा रहा है। जबकि शासन का गाइडलाइन है कि निकायों में हर कर्मचारी को सभी विभागों की गतिविधि और कार्यप्रणाली से पारंगत होना चाहिए।

लंबे समय तक एक ही विभाग में जमे अधिकारी.कर्मचारियों के चलते नगर निगमों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। ऐसे अधिकारी और कर्मचारी विभागीय दक्षता का हवाला देकर मनमानी करने से भी बाज नहीं आते। वहीं विभागीय फेरबदल का संकेत मिलते ही ऐसे कर्मचारी दूसरे किसी विभाग के कामकाज नहीं आने का हवाला देकर अपने आका अधिकारी के माध्यम से टेबल रोटेशन से खुद को बचाने में सफल हो जाते हैं। इस तरह की नीति से टेबल रोटेशन को लेकर शासन की एक अच्छी मंशा तार तार हो रही है।

चेहतों को मिलता है मलाईदार विभाग
नगर निगमों में कुछ कर्मचारियों की जबदस्त सेटिंग की चर्चा गाहे बगाहे उठती रही है। ऐसे कर्मचारी निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को खुश रखते हुए उनके चेहते बने हुए हैं। ऐसे चेहते कर्मचारियों को हमेशा मलाईदार विभाग मिलता है। टेबल रोटेशन का फरमान ऐसे कर्मचारियों में एक तरह से अप्रभावी रहता है। इसके चलते भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। लंबे समय से एक ही विभाग में पदस्थ रहने वाले इन कर्मचारियों को एक एक फाइल की मुखाग्र जानकारी रहती है। इससे वे मनमानी करने से भी चूकते नहीं हैं।

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