लोकतांत्रिक विचार मंच ने नए ट्रैफिक रुल्स पर उठाए सवाल
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दुर्ग। दुर्ग – भिलाई के बुद्धिजीवियों की संगठन लोकतांत्रिक विचार मंच द्वारा रोटरी भवन सिविक सेंटर भिलाई में नया ट्रैफिक रूल्स – राहत या आफत विषय पर विचार गोष्ठी संपन्न हुई। वक्ताओं ने एक स्वर में सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार की मंशा सडक़ दुर्घटनाओं की संख्या कम करके लोगों की जानमाल की रक्षा करने की नहीं है बल्कि लोगों से जुर्माना के नाम पर माल बटोरकर अपना खजाना भरना है, सरकार यदि यह समझती है कि भारी जुर्माने के भय से लोग कानून का पालन करने लगेंगे तब अधिक भय पैदा करने के लिये जुर्माने की जगह जेल की सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। गैर लाईसेंसी या नाबालिग के वाहन चलाने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के लिये वाहन मालिक अथवा पिता को सजा के प्रावधान को असंवैधानिक निरूपित करते हुए कहा गया है कि अपराधिक कृत्य के लिये जो कानूनी रूप से जिम्मेदार नहीं है उसे सजा नहीं दी जा सकती। वक्ताओं ने मोटर व्हेकिल एक्ट पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि एक्ट के पालन की पूरी जिम्मेदारी वाहन मालिक और चालक पर डाल दी गई है जबकि दुर्घटनाओं के लिये सडक़ की परिस्थितियां भी समान रूप से जिम्मेदार है लेकिन एक्ट में सडक़ की खराब स्थितियों के लिये किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।
विचार गोष्ठी में एड. राजकुमार गुप्त, डा. गणवीर, सूर्य नारायण, समरेंद्र बिस्वास, दिनेश मिश्रा, श्रवण केरेकर, एस. के. बंद्योपाध्याय, विवेक अग्रवाल, रामनिहोर, विश्वरत्न सिंहा, आर. पी. सोनी, वदूद आलम, श्यामलाल साहू आदि ने अपने विचार रखे, पी. एल. शास्त्री, बिजन चक्रवर्ती, सुभायु दास आदि भी गोष्ठी में शामिल हुए।