छत्तीसगढ़

ग्रामीण से मिला सुराग, फिर आरोपी की पत्नी का झूठ सीसीटीवी से पकड़ा गया

सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ – शिवरीनारायण के लोहा व्यापारी भुनेश्वर केशरवानी की अंधे कत्ल को दो दिनों में पुलिस ने सुलझाने में सफलता पाई। इसके लिए पुलिस अधीक्षक नीतू कमल के सफल मार्गदर्शन और सख्त रुख ने टीम को सफलता हासिल करने में मदद की। 16 सितंबर को शिवरीनारायण के लोहा व्यापारी भुनेश्वर केशरवानी खरीदी करने ड्राइवर सुरेश चौहान के साथ रायपुर जाने अपनी स्वराज माजदा गाड़ी से निकला मगर दूसरे दिन मंगलवार को उसकी खून से लथपथ लाश पलारी ब्लॉक के धमनी खैरी जंगल के पास मिली। मौका मुआयना पर जिस ग्रामीण ने आरोपी सुरेश को देखा था, वह तहकीकात का आधार बना। हत्या के बाद सुरेश प|ी निर्मला से मिलने शिवरीनारायण गया था यह रास्ते में लगे सीसी टीवी फुटेज से पुलिस को पता चल गया था पर उसकी प|ी ने पहले झूठ बोला। फुटेज का हवाला देने पर निर्मला ने सच उगल दिया। बस इसके बाद पुलिस की सक्रियता से कड़ियां जुड़ती गईं और टीम को सफलता मिलने में देर न लगी।

इसके बाद पुलिस अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने में जुट गई, मगर इतनी जल्दी आरोपी को पकड़कर मामले का पटाक्षेप कर सकने वाले क्लू नहीं‌ मिल रहे थे। टीम और पुलिस के सभी अधिकारियों ने रात दिन एक कर मुजरिम तक पहुंचने सबसे पहले उस आदमी की तलाश किया जिसने गाड़ी को जंगल की ओर जाते देखा था, तभी एक ग्रामीण ने पुलिस को बताया कि गाड़ी में ड्राइवर के साथ एक व्यक्ति और बैठा था जो रास्ता पूछकर अंदर गया। बस इसी कड़ी को पकड़कर पुलिस ने काम करनी शुरू किया। टीम ने ड्राइवर का फोटो दिखा ग्रामीण को दिखाया तो उसने पहचान लिया। इससे ये पक्का हो गया कि व्यापारी का ही ड्राइवर सुरेश चौहान ही गाड़ी चलाकर लाश ठिकाने लगाने जगह तलाश रहा था।

ग्रामीण ने दूसरे व्यक्ति की तस्दीक नहीं की क्योंकि उसे ठीक से वह देख नहीं सका था, लेकिन उसने पक्के तौर पर बताया कि गाड़ी में व्यापारी की लाश नहीं थी। इसका मतलब ये था कि हत्या कहीं और की गई थी और लाश को ठिकाने लगाने ड्राइवर और दूसरा आरोपी जगह तलाश रहे थे। दरअसल व्यापारी के परिवार वालों से संपर्क कर टीम ने आरोपी सुरेश की प|ी से आरोपी का आधार कार्ड मंगवा लिया था। इसी आधार कार्ड के फोटो से ग्रामीण ने आरोपी को पहचाना तथा उसके पैतृक घर का पता निकाला, फिर उसे गिरफ्तार किया।

आरोपी आगे-आगे और पुलिस पीछे-पीछे…

सबसे पहले पुलिस 17 सितंबर को शिवरीनारायण आरोपी के घर गई तो पता चला कि 16 सितंबर की रात एक बजे घर आया था लेकिन कपड़े बदलकर तुरंत पैतृक गांव कोटा चला गया। टीम उसका पीछा करती 17 को ही कोटा पहुंची तो पता चला कि वहां से वह बिलासपुर में पढ़ रहे बेटे से मिलने निकल गया है। बिलासपुर पहुंचते 18 सितंबर की सुबह हो चुकी थी। पुलिस ने तुरंत बिलासपुर में घेराबंदी की पर इससे पहले कि वह उसे गिरफ्त में लेती आरोपी अपनी बहन के घर सकरी निकल चुका था। बेटे ने पुलिस को सकरी का पता दे दिया। बस 18 की देर शाम पुलिस व क्राइम ब्रांच ने उसे धर दबोचा। आरोपी को भी उम्मीद नहीं थी कि पुलिस इतनी जल्दी उसे खोज निकालेगी, क्योंकि उसने शातिर तरीके से मोबाइल बंद कर रखा था। उसका मोबाइल बंद होने के कारण पुलिस को एक दिन का समय लगा, वरना एक दिन पहले ही वह गिरफ्तार कर लिया जाता।

दो एडिशनल एसपी, दो डीएसपी सहित टीम में ये शामिल थे

दो एडिशनल एसपी जेआर ठाकुर और निवेदिता पाल, दो उपपुलिस अधीक्षक राजेश जोशी, सिद्धार्थ बघेल, टीआई पलारी एनके स्वर्णकार, सब इंस्पेक्टर ओमप्रकाश त्रिपाठी बलौदाबाजार, समीर शुक्ला प्रआ बलौदाबाजार, राजेन्द्र नेताम प्रआ पलारी, नरेश खूंटे , राजेन्द्र ठाकुर , देवप्रसाद मल्होत्रा , सतेंद्र बंजारे, विजेंद्र निराला, अश्वनी चंदेल, अरुण र|ाकर , मनमोहन देवांगन, रंजित खलखो (सभी आरक्षक पलारी थाना) एवं साइबर सेल से कुमार जायसवाल की अहम भूमिका रही।

 

 

 

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