मना भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव
दुर्ग। आनंद मधुकर रतन भवन की धर्म सभा में आज भगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव गुणानुवाद सभा के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर भगवान महावीर के जीवन दर्शन पर एक लघु नाटिका प्रस्तुत की गई जिसमें अनिकेत संचेती विनय देश लारा, आनंद पाठक, डॉ प्रणव काकरियां, श्रीमती कविता देशलहरा, श्रीमती डॉ नम्रता लुनिया, आशीष संचेती, श्रीमती श्रद्धा पारख ने बहुत ही शानदार प्रस्तुति दी जिसे उपस्थित जनसमूह ने हर्ष हर्ष जय जय के जयकारे के साथ धर्म सभा में स्वागत किया। इसी श्रमण संघ महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती सरिता श्री श्रीमाल ने आयोजित नाटिका का संयोजन एवं संचालन किया।
इस तारतम्य में शुक्रवार को दोपहर के समय श्रमण संघ की महिलाओं ने महावीर ग्रुप संगीत प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जिसमें प्रथम स्थान भारतीय रचना रचिता राशि श्री श्री माल एवं सपना संचेती ने प्राप्त किया। महिलाओ द्वारा दोपहर में महावीर संगीत प्रतियोगिता हुई जिसमें महिलाओं ने 14 स्वप्न वीर प्रभु का पालना तथा चंदनबाला चंडकौशिक छप्पन कुमारिया इंद्र इंद्राणी बनकर प्रस्तुति दी।
आनंद पुष्कर दरबार की धर्म सभा वीर कैसे बने महावीर विषय पर आयोजित थी। साध्वी श्री विचक्षण श्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा पर्यूषण पर्व के अवसर पर आचार्यों ने शासन पति प्रभु महावीर के जन्म कल्याण का वाचन करने का आदेश दिया है। मंगलम भगवान वीरो कहते हुए प्रभु महावीर मंगल स्वरूप में रहे जिन्होंने अहिंसा अनेकांत अपरिग्रह का संदेश देकर जन-जन को जीवन जीने की कला सिखाई अहिंसा धर्म के उच्च कोटि का आध्यात्मिक एवं सामाजिक धर्म है। अहिंसा ह्रदय परिवर्तन का एक पावन धर्म है वह मारने का नहीं सुधारने का धर्म है। प्रभु महावीर ने माता-पिता को वचन दिया चंद्र कौशिक का को स्वर्ग दान दिया गौशाला को सम्य समत्व संगम को अनुशासन दिया जीवो को अभयदान भव्य जीवो को ज्ञान दान दिया