बीएसपी के ब्लास्ट फर्नेस सात में में लगी आग से एक ठेका श्रमिक की मौत,एक की हालत गंभीर, ठेका श्रमिक और उनके नेताओं में जर्बदस्त आक्रोश

भिलाई। भिलाई स्टील संयंत्र के 6 महीने से बंद पड़े ब्लास्ट फर्नेस 7 में बुधवार को एक बड़ा हादसा हो गया। यहां अचानक आग लगने से मरम्मत कर रहे दो ठेका श्रमिक बुरी तरह झुलस गए। इसमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं दूसरे मजदूर की हालत गंभीर बताई जा रही है। उसे सेक्टर 9 हॉस्पिटल के बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार ब्लास्ट फर्नेस 7 में बुधवार सुबह से मरम्मत का कार्य चल रहा था। इस कार्य में 4 ठेका श्रमिक राहुल उपाध्याय 32 साल परमेश्वर सिखा 25 वर्ष तरुण सिखा 31 वर्ष और सचिन सिंह 35 वर्ष को लगाया था। सभी मजदूर सेफ्टी बेल्ट लगाकर काम कर रहे थे। दुर्घटना से कुछ देर पहले लगभग दोपहर 12 बजे तरुण और सचिन पानी पीने के लिए ब्लास्ट फर्नेस के अंदर से बाहर आ गए। राहुल और परमेश्वर फर्नेस के अंदर ही काम कर रहे थे। दोपहर 12. 30 से 1 बजे के बीच अचानक फर्नेस के अंदर आग लग गई।
दोनों मजदूर आग से बचने के लिए सेफ्टी बेल्ट खोलने लगे। परमेश्वर सेफ्टी बेल्ट खोलकर नीचे कूद गया, लेकिन राहुल का सेफ्टी बेल्ट नहीं खुला। इससे राहुल ब्लास्ट फर्नेस के अंदर ही झुलस कर खत्म हो गया और परमेश्वर 80 प्रतिशत झुलस गया। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
प्रबंधन की दिखी अमानवीयता
दोनों ठेका श्रमिक अमन कंस्ट्रक्शन के लिए कार्य करते थे। दुर्घटना के बाद उन्हें सेक्टर 9 अस्पताल ले जाया गया। यहां स्टोरपारा पुरैना निवासी राहुल उपाध्याय को मृत घोषित कर दिया। वहीं परमेश्वर की हालत गंभीर बताई गई। इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद हॉस्पिटल ठेका श्रमिक मजदूर नेता और परिजन तो दिखेए लेकिन वहां न तो बीएसपी का कोई जिम्मेदार अधिकारी दिखा न ही ठेका कंपनी का ठेकेदार।
श्रमिक नेताओं में गुस्सा
इस हादसे से बीएसपी ठेका श्रमिक और उनके नेताओं में काफी रोष व्याप्त है। सीटू नेता योगेश सोनी ने आरोप लगाया कि सेल की तमाम इकाइयों में ठेका श्रमिकों की दुर्घटना से होने वाली मौतों का आंकड़ा काफी अधिक है। बीएसपी का पूरा कार्य आधे से ज्यादा कुशल अकुशल ठेका श्रमिकों के कंधों पर है। बीएसपी अधिक मुनाफा कमाने के लालच में कम वेतन में ठेका श्रमिकों को ठेकेदार के माध्यम से लेती है। ठेकादर भी पुराने कम वेतन देने के लालच में नए मजदूरों को भर्ती कर लेता है और पुराने व अनुभवी मजदूरों की छटनी कर देता है। इसके चलते नए श्रमिकों को पर्याप्त सुरक्षा ट्रेनिंग नहीं मिलती और वह कार्यस्थल की उतनी जानकारी भी नहीं रखते। यही कारण है कि वह दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं।