18 घंटे वेंटिलेटर पर रख नवजात शिशु को नव जीवन दिया डॉक्टर रुद्र ने
✍Rajeev Gupta
कोंडागॉव–डॉक्टर ईश्वर का दूसरा रूप होता है अक्सर लीगो को कहते सुना होगा लेकिन उन माता पिता के कोंडागॉव के एमसीएच अस्पताल में अपने आखों से ईश्वर के इस रूप को देखा है,जिसके अथक परिश्रम से उनके नवजात को नया जीवन मिल पाया है। ग्राम चमई बनियागॉव के मोहन कोर्राम बताते भावुक हो जाते है,की किस तरह 07 दिनों तक अपने सेवा भाव व जी जान लगाकर उसके नावजान शिशु को डॉ रुद्र कश्यप व उनकी यूनिट टीम ने नया जीवन दिया है।
वैसे तो जिला अस्पताल व एमसीएच भवन में कई खामियां हैं व सुविधाओ का अभाव है बावजूद कुछ ऐसे चिकित्सक भी है जो उपलब्ध सुविधाओ में भी अपना सत्प्रतिश चिकित्सकीय ज्ञान मरीजो पर आजमाइश कर उन्हें स्वास्थ्य करने की कोशिश में लगे रहते है।
ऐसे ही एक मामला ग्राम चमई बनिया गॉव से आया था जिसमे 21 अगस्त को ग्राम चमई में प्रसूता जुगमती कोर्राम पति मोहन कोर्राम ने अपने घर मे ही बच्चे को जन्म दिया,वही दूसरे दिन बच्चे को स्वांस लेने में हो रही तखलिफ़ व स्वास्थ्य बिगड़ता देख वे बच्चे को ले कर मातृत्व शिशु अस्पताल पहुंचे जहा डॉ रुद्ध कश्यप मौजूद थे बच्चे की नाजुक हालत देखते ही उन्होंने उसे तत्काल ही इलाज प्रारम्भ किया जहा बच्चे को स्वास नली में परेशानी देखते उसे स्वांस मशिन में कृत्रिम स्वांस नली डाल 18 घंटे तक नवजात को वेंटिलेटर में रखा गया जिस पर लगातार डॉ रुद्र कश्यप व उनकी यूनिट की नजर बनी रही,जिसका परिणाम है कि संभाग का यह पहला मामला है जिसमे बच्चा सकुशल वेंटिलेटर से बाहर आ सका।
वर्शन–
बच्चें के एमसीएच पहुंचते ही पहले उसके नाजुक स्थिती को स्थिर करने की कोशिश की गई नवजात के दूषित वातावरण के संपर्क में आने के चलते स्वास नलिका में इन्फ़ेक्सन हो गया था, जिसके बाद कृत्रिम स्वांस मशिन वेंटिलेटर के सहायता से सघन उपचार किया गया व नवजात को 18 घंटे स्वांस नली में रखा गया जिसके बाद 7 दिनों तक ऑब्जर्वेशन में रखा गया जब तक कि बच्चा बाहरी वातावरण के लिए तैयार नही हो पाया उसे यहीं रखा गया,पश्चात डिस्चार्ज करते समय माता पिता को बच्चे को दूषित चीजो से बचाव करते देख भाल की समझाइस दी गई है।
डॉ. रुद्र कश्यप, एमबीबीएस (पीडियाट्रिस)
एमसीएच कोंडागॉव