रासेयो दशरंगपुर ने हाईस्कूल – पनेका में मनाया “शहीदी दिवस”
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रासेयो दशरंगपुर ने हाईस्कूल – पनेका में मनाया “शहीदी दिवस”
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बच्चों को भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव की शार्टस्टोरी प्रोजेक्टर पर दिखाई गई।
देश के शहादत देने वाले तीनों सपूत अभूतपूर्व साहस से शक्तिशाली ब्रिटिश हुकुमत का मुकाबला किया था ये महान स्वतंत्रता सेनानी व क्रांतिकारी थे, इन तीनों शहीदों को दी गई श्रद्धांजली । भगतसिंह-अमर रहे, सुखदेव-अमर रहे, राजगुरु अमर रहे नारों से वातावरण”गुंज उठा…
उच्च शिक्षा विभाग के पदेन उपसचिव व एन. एस. एस. के छत्तीसगढ़ राज्य संपर्क अधिकारी डॉ. समरेन्द्र सिंह के निर्देशानुसार व हेमचन्द यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आर.पी. अग्रवाल, जिला संगठक डॉ. के. एस. परिहार, व प्राचार्य रवेन्द्र सिंह चंद्रवंशी के मार्गदर्शन तथा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय- दशरंगपुर के कार्यक्रम अधिकारी हेमधर साहू के नेतृत्व में दिनांक 23 मार्च 2022 को, रासेयो- दशरंगपुर की इकाई ने शासकीय हाईस्कूल पनेका में “शहीदी दिवस का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए, हाईस्कूल पनेका प्राचार्य मालिक राम ठाकुर ने बताया कि 23 मार्च 1931 को भारत की आजादी की लडाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू तीनों बहादुरों ने हंसते-हंसते, फांसी के फंदे को गले लगाकर कुर्बान हो गये थे, इसलिए आज के दिन को “शहीदी दिवस” के रूप में मनाते हैं। स्वयंसेवक व विद्यार्थीगण भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव तीनों सपूतों के देशप्रेम से प्रेरित हों इसलिए तीनों सपूतों की शहादत तक की “शार्टस्टोरी” प्रोजेक्टर पर कार्यक्रम अधिकारी हेमधर साहू के मार्गदर्शन में दिखाई गई। विज्ञान प्रयोगशाला सहायक राजाराम भारद्वाज ने “शहीदी दिवस” पर आयोजित गोष्ठी पर कहा कि भगत सिंह, राजगुरू तथा सुखदेव कम उम्र में ही देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान बहादुरी से कर दिया था। कार्यक्रम का संचालन करते हुए रासेयो कार्यक्रम अधिकारी हेमधर साहू ने कहा कि इतिहासकारों के अनुसार, अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाले भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू को 24 मार्च 1931 को फांसी दिया जाना था किन्तु इन तीनों बहादुरों को 1 दिन पहले याने कि 23 मार्च 1931 को चुपके-चुपके फांसी दे दी गई, लोगों को भनक भी नहीं लगने दी, क्योंकि अंग्रेजों को डर था कि फांसी वाले दिन भारत देश के लोग उग्र ना हो जाए, क्योंकि ये तीनों बहादुर उस समय देश के युवाओं वर्ग में काफी “लोकप्रिय थे, खासकर भगत सिंह को भारत में बड़ी संख्या में “यूथ फालो करते थे, उनसे प्रेरणा लेते थे । इन तीनों की याद में और श्रद्धांजलि देने के लिए 23 मार्च को “शहीदी दिवस के रूप में मनाते है। अंत में तीनों महान क्रांतिकारियों की शहादत को नमन करते हुए शिक्षक-शिक्षिकाओं, विद्यार्थियों, स्वयंसेवकों व ग्रामीण जनों द्वारा, भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव को “श्रद्धांजली दी गई। “शहीदी दिवस” के कार्यक्रम को मालिक राम ठाकुर प्राचार्य तथा व्याख्याता, धर्मेन्द्र कुमार पडोटी, उषा धुर्वे, पूनम केशरी, अतुल शर्मा, विज्ञान प्रयोगशाला सहायक राजाराम भारद्वाज ने सफल संयोजन किया। वन्दे मातरम्, भारतमाता की जय, जयहिन्द के घोष के साथ ही “शहीदी दिवस” का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।@@@@@@@@@@@@