कल मनाया जाएगा चॉकलेट डे, जानें इसका 4000 साल पुराना इतिहास
रोज के साथ ही वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) की शुरुआत हो चुकी है. कल इस वीक का इसका तीसरा दिन यानी चॉकलेट डे (Chocolate Day) है. आपको बता दें कि 7 फरवरी से शुरू हुए वैलेंटाइन वीक में तीसरे दिन यानी 9 फरवरी को चॉकलेट डे मनाया जाता है. इस दिन कपल्स एक दूसरे को प्यार से चॉकलेट गिफ्ट में देते हैं और अपने प्यार का इजहार करते हैं. दरअसल चॉकलेट खाना हर उम्र के लोगों को पसंद होता है. बच्चों लेकर बड़ों तक सभी चॉकलेट खाने को लेकर उत्साहित नजर आते हैं. चॉकलेट को कभी भी खाया जा सकता है और यही कारण है कि इसे हर सेलिब्रेशन में शामिल किया जाता है.
आपको बता दें कि डार्क चॉकलेट खाने से शरीर को फायदा भी पहुंचता है. चॉकलेट खाने से स्ट्रेस कम होता है और शरीर की थकावट भी दूर होता है. ऐसे में वैलेंटाइन वीक में इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. क्या आप जानते हैं कि जिस चॉकलेट को आप अपने सेलिब्रेशन का हिस्सा बना रहे हैं उसकी शुरुआत कब, कैसे और कहां हुई थी. आइए आज हम आपको बताते हैं कि चॉकलेट का इतिहास क्या है. चॉकलेट की शुरुआत की कहानी भी इसकी टेस्ट की तरह शानदार है.
4 हजार साल पुराना है चॉकलेट का इतिहास
चॉकलेट का इतिहास लगभग 4000 साल पुराना है. चॉकलेट कोको से बनाया जाता है. लोगों का मानना है कि सबसे पहले इसका आविष्कार अमेरिका में हुआ था क्योंकि कोको का पेड़ सबसे पहले अमेरिका के जंगलों में पाया गया था. हालांकि आज के दौर में दुनियाभर में सबसे ज्यादा कोको की आपूर्ति करने वाला देश अफ्रीका है. दुनियाभर में 70 फीसदी कोको की आपूर्ति अकेले अफ्रीका ही करता है. चॉकलेट के आविष्कार की कहानी भी काफी रोचक है. 1528 में स्पेन ने मैक्सिको को अपने कब्जे में कर लिया था. इसके साथ ही वहां का राजा मैक्सिको से कोको के बीज और सामग्री को भी स्पेन लेकर आ गया. स्पेन के लोगों को कोको इतना पसंद आया कि वहां के लोगों का ये पसंदीदा पेय बन गया.
अमेरिका के जमीन पर हुई चॉकलेट की शुरुआत
शुरुआत में चॉकलेट को अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता था. समय-दर-समय इसे बनाने के तरीकों में काफी बदलाव आते गए और आज बिकने वाला चॉकलेट स्वाद में काफी बेहतरीन होता है. कहा जाता है कि सबसे पहले अमेरिका में चॉकलेट बनाया गया था लेकिन शुरुआती समय में इसके स्वाद में कुछ तीखापन था. दरअसल अमेरिकन इसे बनाने के लिए कोको के बीज के साथ कुछ मसाले और मिर्च भी पीस कर डाल देते थे जिससे इसका स्वाद तीखा हो जाता था.
उस दौरान इसे एक पेय की तरह ही इस्तेमाल किया जाता था. कुछ समय बाद एक वैज्ञानिक डॉ. सर हैस स्लोने ने इस पेय पर कुछ प्रयोग किए और एक नई रेसिपी तैयार की. पेय पदार्थ को प्रयोग के बाद खाने के लायक सॉलिड फॉर्म में बनाया गया और इसका नाम रखा गया था कैडबरी मिल्क चॉकलेट.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं sabkasandesh.com इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)