छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही के कारण सकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय

विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों पर होनी चाहिए कार्यवाही 

दुर्ग – केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा समय समय पर यह कहा जाता है की हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षा की गुणवत्ता पर रहती है, लेकिन प्रत्येक वर्ष ऐसा देखने में आता है की विश्वविद्यालय के द्वारा परीक्षा परिणामों की जिस समय सूची जारी की जाती है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरपुस्तिका जाचने वाले तथा उसका मूल्यांकन करने वाले अधिकारी शायद यह भूल जाते है की वे बच्चों के भविष्य को नजरंदाज़ करते हुए महज़ अपनी ड्यूटी एवं महीने का पगार लेकर ही अपने आपको गौरवान्वित मह्सूस करते है, जिसको लेकर प्रतिवर्ष सैकड़ों हजारों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है, मगर जब कोई विद्यार्थी इसकी आपत्ति विश्वविध्यालय प्रशासन को कराता है तो विश्वविद्यालय प्रशासन में बैठे प्रभारी अधिकारी टका सा जवाब देते हुए कहते है की आप रिचेकिंग करने हेतु आवेदन विभाग को दे देवें, साथ ही उसका शुल्क भी जमा करें! विडम्बना यह है की सुदूर गाव देहात के लोग बड़ी ही कठिन परिस्थिति में अपने मातापिता से दुबारा रिचेकिंग हेतु बड़ी आरजू मिन्नत से लेकर उक्त राशि को जमा कराते है, यहाँ पर भी ऐसा देखा गया है कि यह रिचेकिंग की प्रक्रिया महज एक खानापूर्ति करते हुए उलटे ही विश्वविद्यालय की अधिकारी कर्मचारी तंज कसते हुए सही ढंग से चेकिंग ना कर उक्त विद्यार्थियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करते है, जिससे वे विद्यार्थी ना घर का रह जाता है ना घाट का, और ऐसी स्थिति में डिप्रेशन में आकर कई बार आत्महत्या जैसा कृत्य कर बैठते है, और इसकी पूरी की पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रबंधन की होती है !

             गौरतलब विषय यह है की ऐसा ही प्रकरण हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग में गत दिनों सामने आया है जिसमे यह देखा गया है की बड़ी संख्या में बी.एस.सी., बी.ए., बी.कॉम., का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया जिसमे महाविद्यालय के अंतर्गत स्नातक एवं स्नातकोत्तर की कक्षाओं में अध्यनरत बहुत सारे विद्यार्थियों को अधिकांश विषयों में शून्य अथवा अत्यंत न्यूनतम अंक प्रदान किया गया है, और साथ ही बहुत से छात्र परीक्षा में उपस्थित होने के बावजूद अनुपस्थित दर्शाया गया है जो की विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ जैसा प्रतीत होता है ! इसके अलावा श्रीराम जानकी शरणदास वैष्णव स्नातक महाविद्यालय पिपरिया का भी परीक्षा परिणाम घोषित किया गया इसमें छात्रों का कहना की महाविद्यालय प्रबंधन छात्रो के साथ पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर प्रायोगिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण कर दिए गए है, जबकि बी.एस.सी. प्रथम वर्ष में लगभग 45 विद्यार्थी उक्त महाविद्यालय में प्रायोगिक परीक्षा दिए थे, मगर आश्चर्य का विषय यह है कि सभी के सभी छात्र एवं छात्राओं को अनुपस्थित कर देना विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर जहा सवाल पैदा कर रहा है वही विश्वविद्यालय प्रशासन की इस प्रकार की विधार्थियों के प्रति लापरवाही निश्चित रूप से एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है जिसपर शासन और प्रशासन को ध्यान देना बेहद जरुरी हो गया है और जो लोग भी ऐसे कृत्य करते है उन्हें कठोर से कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए !

 

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