रविवार को जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा बाल उद्यान कवर्धा में जिला अध्यक्ष नीलू चंद्रवंशी के नेतृत्व में On Sunday, under the leadership of District President Neelu Chandravanshi, in Bal Udyan Kawardha by the District Congress Committee.
*कवर्धा:-* रविवार को जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा बाल उद्यान कवर्धा में जिला अध्यक्ष नीलू चंद्रवंशी के नेतृत्व में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बलिदान दिवस पर उनकी पुण्यतिथि मनाई गई सभी ने गांधी जी के मूर्ति पर माल्यार्पण कर महात्मा गांधी की जय, भारत माता की जय के नारे लगाते हुए उन्हें एवं उनके भारत देश के स्वतंत्रता के लिए उनके योगदान को याद किया।
अध्यक्ष नीलू चन्द्रवंशी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, आज गांधी जी की पुण्यतिथि है। गांधी जी को याद करना यानी अहिंसा के विचारों को अंगीकार करना। हाल ही के दिनों में घटित ऐसी घटनाएं जिनमें गांधी जी पर अपशब्द कहे गए सुनकर मन कचोटता है।
एक ऐसे दौर में जबकि हिंसा हर समस्या के समाधान के रूप में देखी जा रही है वहां मनुष्य सभ्यता के लिए गांधी जी के विचार सर्वाधिक जरूरी हो गए हैं।
30 जनवरी यानी आज ही के दिन सन् 1948 में महात्मा गांधी की हत्या हो हुई थी। राष्ट्रपिता की शहादत का यह दिन गांधी जी को दुनिया में सर्वाधिक प्रासंगिक बना गया। बापू के देह से तो संसार में नहीं रहे लेकिन उनके विचारों ने पूरे विश्व को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हिंसा का रास्ता दुनिया की सारी समस्यासओं का समाधान है?
आज बापू की शहादत के 74 वर्ष हो गए। जब समूचे विश्व में एक अलग किस्म का फ़सात है, हिंसा है और एक पागलपन का होड़ है जिसका अंजाम शायद तृतीय विश्व युद्ध तक में तब्दील हो सकता है। कोरोना महामारी के दौर में जिन्दगी और मौत से लड़ती दुनिया अगर मानवीय का मूल्यों को समझने में असफल रही तो परिणाम बहुत ही विभत्स होगा। ऐसे में गांधीजी और प्रासंगिक हो उठते हैं।
हाल ही के दिनों में घटित ऐसी घटना जिसमे गांधी जी के ऊपर अपशब्द कहे गए सुनकर मन कचोटता है। एक ऐसे दौर में जबकि हिंसा हर समस्या के समाधान के रूप में देखी जा रही है वहां मनुष्य सभ्यता के लिए गांधी जी के विचार सर्वाधिक जरूरी हो गए हैं।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था-
“भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था”।
सत्याग्रह गांधीजी के अहिंसक पद्धति का मूलमंत्र रहा है, इसका अर्थ है सभी प्रकार के अन्याय, उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आत्म-शक्ति का प्रयोग करना। आज के मौजूदा हालत और वैश्विक परिदृश्य में गांधी का यही मंत्र विश्व शांति को स्थापित कर सकता है। अहिंसा गांधीवाद के इस एक प्रमुख तत्व ने ब्रिटिश राज के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधीजी इसका सही इस्तेमाल करते हुए अंग्रेजी हुकूमत को असहाय कर दिया था।
गांधीजी मानते थे अहिंसा और सहिष्णुता के लिए बड़े स्तर के साहस और धैर्य की आवश्यकता होती है। हिंसा और आतंकवाद से प्रभावित दुनिया, युद्ध के दौर से गुजर रही दुनिया, गृहयुद्ध जैसे हालात से जूझती यह दुनिया और वैश्विक महामारी के संकट में मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ती यही दुनिया को गांधी के बताए सत्य, अहिंसा, स्वराज और आत्मनिर्भरता को अपनाना होगा ।
कार्यक्रम में नीलकंठ चंद्रवंशी, ईश्वर शरण वैष्णव, आकाश केशरवानी,मुकेश झारीया,मुकुंद माधव कश्यप, राजकुमार तिवारी,राजेश शुक्ला, कृष्णा कुमार नामदेव,घनश्याम चंद्रवंशी, सुखदास पटेल, नीरज चंद्रवंशी, गोपाल चंद्रवंशी, मो. अजहर खान, डॉ.कृष्णा साहू, टीकम प्रसाद शर्मा, सुनील पाली , तुकेश्वर साहू, जलेश्वर राजपूत, मनोज दुबे, कन्नु कृष्णा आमदे, नरेश साहू, राजू यादव, विजय चंद्रवंशी, सुनील पाली, रामू चंद्रवंशी, ललित सिंह, हस्ती कुमार, रहस वार्ते, अरविंद नारंग, परमेश्वर मानिकपूरी, सबीर कुरैशी,लखन साहू, सूर्यप्रकाश चंद्रवंशी उपस्थित रहे।