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अभी भी जनता भूली नही है भाजपा शासन काल में भाजपा के करतूतों को

कमीशनखोरी के लिए कोसा नाला में अवैध टोलनाका बनाकर अरबों रूपये लूट लिये जनता की गाढी कमाई

राकेश पाण्डेय से टोल वसूली पर कुम्हारी में की गई गुण्डागर्दी आज भी याद है लोगों को
आंख फोड़वा कांड,बिलासपुर का दवा कांड, घटिया मोबाईल वितरण देन थी भाजपा की

भिलाई। भिलाई की जनता आज भी भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान कमीशन खोरी के लिए कोसा नाला में अवैध टोल नाका बनाकर जनता की अरबो रूपये की गाढी कमाई को बरबाद करवा दिये थे । वो तो भला हो एल एम पाण्डेय का जिन्होंने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई तो उसपर कोसानाला के टोल को अवैध घोषित कर तत्काल उसे हटाने का आदेश दिया था नही तो पता नही और कितने साल आम जनता कोसानाला टोल प्लाजा के संचालनकर्ताओं से लुटती रहती ।  इसके अलावा कोसानाला और कुम्हारी टोला प्लाजा संचालकों द्वारा लोगों के साथ हो रही हमेशा मारपीट, दुरव्यवहार पर कभी इन्होंने मुंह नही खोला वही ठीक इसके विपरीत जब एक बार भाजपा सांसद सरोज पाण्डेय के भाई राकेश पाण्डेय से टोल टैक्स जमा करने के लिए टोल संचालकों द्वारा दुव्र्यवहार किये जाने पर इनके भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा जो कुम्हारी टोल नाका में तोडफ़ोड़ किया गया था और जमकर वहां मारपीट की गई थी, उसकी खूब चर्चा जगह जगह हुई थी कि जब तक जनता से टोलप्लाजा वालों द्वारा मारपीट और दुव्र्यवहार करने पर एक बार भी इन्होंने या किसी भाजपाईयों ने मुंह नही खोला और एक बार राकेश पाण्डेय के साथ बदतमीजी हुई तो कुम्हारी टोलप्लाजा में तोडफ़ोड और जमकर हंगामा किया गया । इसके अलावा बालोद के आंख फोड़वा कांड में दर्जनों लोग के आंख गंवाने से लेकर बिलासपुर में दवा में अधिक मात्रा में साईनाईट होने के कारण कई लोगों की जान गंवानी पड़ी थी और किसी पर कोई कड़ी कार्यवाही नही हुई । अब यह सब फिर निगम चुनाव में जनता के जेहन में कौंधने लगा है ।
उक्त बाते कई वार्डो में हमारे संवाददाता ने जब भाजपा शासनकाल की कार्यों के बारे में किये गये कार्योँ के फीडबैक लेने गये थे उस दौरान कही। इसके अलावा लोगों ने बताया कि भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने दुबारा सत्ता हासिल करने और कमीशन के कारण 56 लाख लोगों को घटिया मोबाईल वितरण किया गया जो एक साल भी नही चली। इस मोबाईल के अंदर के सभी पार्टस बेहद घटिया थे, जिसको मोबाईल दुकान वालों ने देखकर स्वयं ही बताते थे कि इसका वास्तविक लगभग मूल्य करीब 22 सौ रूपये के आसपास है लेकिन राज्य सरकार द्वारा प्रति मोबाईल का बिल 47 सौं रूपये के करीब दर्शाया गया था। अब लोग अंदाजा लगा रहे है कि एक मोबाईल में करीब ढाई हजार रूपये का व्यारा न्यारा हुआ था उसके हिसाब से ढाई हजार रूपये प्रति मोबाईल के हिसाब से 56 लाख मोबाईल का मूल्य जोड़ा जाये तो 1 अरब से भी अधिक का मामला है।  इसी घटिया मोबाईल के कारण राज्य में भूपेश सरकार आते ही शेष बची मोबाईलों को बंटवाया ही नही। इसके अलावा इस सरकारी मोबाईल में डूबती बीएसएनएल को बचाने के लिए बीएसएनल का सिमकार्ड देना चाहिए था लेकिन केवल कमीशन के कारण बीएसएनाल के बजाय जीओ का सिमकार्ड इसमें डाला गया था क्योंकि बीएसएनएल से उनको कमीशन नही मिल पाता। जनता के इस बातों से फिर ऐसा लगने लगा है की इस बार भी भाजपा का महापौर बनना बहुत ही मुश्किल है।

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