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क्यों पुरुषार्थ के अभाव में अधूरे रह जाते है सपने….

क्यों पुरुषार्थ के अभाव में अधूरे रह जाते है सपने….

संकल्पशक्ति साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा के उपदेश

 

लेखिका तेरापंथ धर्म संघ की अष्टम् असाधारण साध्वी प्रमुखा हैं जो गत पचास वर्षों से नारी चेतना को जागृत करने , स्वस्थ परिवार स्वस्थ समाज के निर्माण का अद्भुत कार्य कर रही हैं । उनके प्रेरणादायक आलेखों से जीवन को सही दिशा मिलती है । जीवन को देखने का अलग दृष्टिकोण मिला है । ”

 

मनुष्य बड़े – बड़े स्वप्न देखाता है और उन्हें साकार करने के लिए पुरुषार्थ करता है , फिर भी उसके सपने अधूरे रह जाते हैं । ऐसा क्यों होता है ? यह एक स्वाभाविक सवाल है । ध्यान से देखा जाए तो इसमें अनेक कारण हो सकते हैं । अपनी औकात से अधिक ऊंचे स्वप्न देखने वाला व्यक्ति उन्हें साकार नहीं कर सकता । स्वप्न को पूरा करने में जिस सीमा तक पुरुषार्थ की अपेक्षा रहती है , उसके अभाव में स्वप्न अधूरा रह जाता है । देश , काल और परिस्थिति की अनभिज्ञता के कारण भी कई योजनाएं विफल हो जाती हैं । इन सब कारणों से भी एक बड़ा कारण है – संकल्पशक्ति का अभाव । साध्वी प्रमुखाश्री कनक प्रभा के अमृत महोत्सव 50 वें मंडल द्वारा प्रदत आलेख | : शिथिल संकल्प वाले व्यक्ति छोटा – सा काम शुरू करने से पहले ही विकल्पों से घिर जाते हैं । अनिष्टा की संभावनाएं उन्हें चारों ओर से घेर लेती हैं । उनकी आंखों के आगे संदेह का कुहासा छाया हुआ रहता है । कार्यक्षेत्र में उपस्थित छोटी – सी बाधा उन्हें हिमालय की चढ़ाई जितनी दुरूह लगने लगती है । ऐसी स्थिति में काम करने का उत्साह मंद हो जाता है और मन में निराशा भर जाती है । संकल्पशक्ति की बाधाएं चिंता , आशंका , संदेह , भय , व्यग्रता आदि । एक बार जो संकल्प किया , उसे पूरा करने का प्रण ही संकल्पशक्ति है । उसी के लिए जीना , उसी के लिए मरना , उसी में अपने अस्तित्व को खपा देना , इतनी निष्ठा हो तभी संकल्प सार्थक होता है । मनोनयन दृढ़ संकल्पी व्यक्ति कठिन से कठिन काम को भी आसान बना लेता है । कार्यं वा साधयामि देहं वा पातयामि करूंगा या मरूंगा इस प्रकार निर्विकल्प मन से लक्ष्य की दिशा में प्रस्थान करने वाला वहां पहुंचकर ही विश्राम लेता है । संकल्प की आंच पर पका हुआ मन कभी कमजोर नहीं पड़ता । जिस किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में कोई बड़ा काम किया है , उसके लिए उसकी संकल्प साधना ही फलवान बनी है । संकल्प मजबूत हो तो पंगू भी पहाड़ पर चढ़कर विजय ध्वज फहरा सकता है ।

 

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