अजब गजब

अच्छी-भली ज़िंदगी छोड़ ठंडे ‘नर्क’ में पहुंचा शख्स, जानलेवा ठंड में करता रहा घुड़सवारी The person left a good life and reached the cold ‘hell’, kept riding in the deadly cold

हर कोई एक सेटल ज़िंदगी चाहता है, जहां अच्छी नौकरी और सुकून देने वाला घर हो. ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर (Hertfordshire) में रहने वाले निकिता ग्रेट्सी (Nikita Gretsi) के पास ये सब कुछ था. 23 साल के निकिता एक रेस्टोरेंट में मैजनेर थे और अच्छी-खासी ज़िंदगी जी रहे थे. इसी बीच उन्हें एक दिन न जाने क्या सूझी कि उन्होंने नौकरी छोड़ी और सोलो ट्रैवलिंग (Man Travelling in Freezing Temperature) पर निकल गए. ये यात्रा कोई रिलैक्सिंग वेकेशन नहीं बल्कि उनके धैर्य और सहनशक्ति (Adventurous Trip) की परीक्षा थी.निकिता ग्रेत्सी (Nikita Gretsi) ने साल 2019 में ही साइबेरिया (Siberia Freezing Cold) का रुख कर लिया और ऐसी-ऐसी जगहों पर ट्रेकिंग के लिए गए, जो सीधा मौत का बुलावा थीं. उन्होंने जंगली घोड़ों के साथ हज़ारों किलोमीटर की ट्रेकिंग की  और ये साबित किया है कि सामान्य लोग ही असाधारण चीज़ें करके दिखाते हैं. उनके इस जुनून के बारे में सोचकर ही आपको ठंड का एहसास होने लगेगा क्योंकि साइबेरिया में सामान्य तौर पर तापमान माइनस से 30 डिग्री नीचे ही रहता है.सकून भरी ज़िंदगी छोड़ ठंडे नर्क में पहुंचे
ग्रेत्सी वेल्विन गार्डेन सिटी के अच्छे रेस्टोरेंट में मैनेजर की नौकरी करते थे और अपने लिए सुख-सुविधाओं भरी ज़िंदगी अफोर्ड कर सकते थे. उन्होंने साल 2019 में अपनी सेविंग्स को ट्रेनिंग कैंप्स में लगाया और खतरनाक ट्रेकिंग के लिए निकल गए. अपने इस ट्रिप में उन्हें -60°C के तापमान में रहना पड़ा. वहां ठंड इतनी ज्यादा था कि इंसान के फेफड़े तक जमने लगें. उन्होंने डिक्टेटर स्टालिन की बनवाई हुई कुख्यात रोड ऑफ बोन्स की भी यात्रा की. ये सड़क सोवियत के तानाशाह स्टालिन ने कैदियों से जमाने वाली ठंड में बनवाई थी. निकिता बताते हैं कि वे अपने आपको टेस्ट करना चाहते थे कि वे किन परिस्थितियों में सर्वाइव कर सकते हैं.ज़िंदगी का असल लुत्फ़ उठाया
3 महीने तक हांड कंपाने वाली ठंड में जंगली घोड़ों पर सवार होकर ग्रेत्सी घूमते रहे. वे खुद बताते हैं कि कई बार उनके साथ ऐसी घटनाएं हुईं कि उन्हें लगा कि अब ज़िंदा नहीं बचेंगे. मौत से बचकर निकल जाने के अपने अनुभव को वो ज़िंदगी का सबसे अलग अनुभव बताते हैं. खतरनाक भालुओं से भरी हुई जगहों पर घुड़सवारी करने के बाद ग्रेत्सी कहते हैं कि उन्हें इससे ज्यादा मज़ा पहले कभी नहीं आया. उन्होंने करीब 9000 किलोमीटर की ट्रेकिंग कर डाली. ग्रेत्सी के माता-पिता रूसी और यूक्रेन मूल के हैं और वे 7 साल की उम्र में ही इंग्लैंड आ गए थे. इस सफर से लौटने के बाद वे एक बार फिर वहां जाना चाहते हैं, जिसके लिए वे वीज़ा की प्रक्रिया भी पूरी कर रहे हैं.

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