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प्राणायाम प्राण

प्राण वह शक्ति है जो हमारे शरीर को ज़िंदा रखती है और हमारे मन को शक्ति देती है। तो ‘प्राण’ से हमारी जीवन शक्ति का उल्लेख होता है और ‘आयाम’ से नियमित करना। इसलिए प्राणायाम का अर्थ हुआ खुद की जीवन शक्ति को नियमित करना।

प्राण शरीर की हज़ार सूक्ष्म ऊर्जा ग्रंथियों ( जिन्हें नाड़ि कहते है ) और ऊर्जा के केंद्रों (जिन्हें चक्र कहते है ) से गुज़रती है और शरीर के चारो ओर आभामंडल बनाती है। प्राणशक्ति की मात्रा और गुणवत्ता मनुश्या की मनोस्थिति निर्धारित करते है। अगर प्राणशक्ति बलवान है और उसका प्रवाह निरंतर और सुस्थिर है तो मन सुखी, शांत और उत्साहपूर्ण रहता है। पर ज्ञान के आभाव में और सांस पर ध्यान न रखने की वजह से मनुष्य की नाड़िया, प्राण के प्रवाह में रूकावट पैदा कर सकती है। ऐसी स्थिति मन में आशंका, चिंताएं, और डर उत्पन्न करती है। हर तकलीफ पहले सूक्ष्म में उत्पन्न होती है। इसलिए कोई बिमारी पहले प्राणशक्ति में उत्पन्न होती है।

अभ्यास विधि

पद्मासन मुद्रा अथवा किसी भी अन्य आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं।
ज्ञान मुद्रा अथवा अंजलि मुद्रा की अवस्था में अपने हाथों को घुटनों पर रख लें ।

जीभ को किनारों से मोड़कर टब का आकार बना लें।
इस टबनुमा जीभ से सांस लेते हुए प्रवेश कराएं और मुंह बंद-कर लें ।
जालन्धर बन्ध मुद्रा में जितनी देर हो सके सांस को रोककर रखें।
जालन्धर बन्ध मुद्रा से वापस आएं और नासिकारंध्रों से धीरे-धीरे श्वास छोड़ें ।

प्राणायाम के फायदे | Benefits of pranayama in Hindi

  • शीतली प्राणायाम रक्त को शुद्ध करता है।
  • यह शरीर में शीतलता प्रदान करता है।
  • उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों के लिए यह विशेष लाभप्रद है।
  • यह भूख और प्यास का शमन करता है।
  • कफ और पित्त के कारण होने वाले अपच और अन्य व्याधियों को दूर करता है।
  • यह पुरानी से पुरानी बदहज़मी और तिल्ली रोग से छुटकारा दिलाता है
  • यह त्वचा और नेत्र के लिए भी लाभदायक है।

  • प्राण शक्ति की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ाता है।
  • रुकी हुई नाड़िया और चक्रों को खोल देता है। आपका आभामंडल फैलता है।
  • मानव को शक्तिशाली और उत्साहपूर्ण बनाता है।
  • मन में स्पष्टता और शरीर

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