कभी भी फूट सकता है आक्रोश, हो सकता है बवाल
भिलाई। बीएसपी के नगर सेवा विभाग के अधिकारियों की तानाशाही पूर्ण एवं मनमानी कार्यप्रणाली से टाउनशिप के दुकानदार व्यापारियों लीज धारक लाइसेसधारक एवं थर्ड पार्टी एलाटी आदि लोग काफी परेशान है। नगर सेवा विभाग ने अब लोगों से वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 के प्रापर्टी टैक्स का आउट स्टैडिंग ड्यूस निकाला है। और उस पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज भी ले रहा है। तथा इसके लिए सभी दुकानदारों, लीज धारक लाइसेस धारक एवं थर्ड पार्टी एलाटमेंट वालों को बिजली के बिल एवं लाइसेस फीस व अन्य बकाया के साथ दो साल का पुराना प्रापर्टी टैक्स जोड़ कर एक मुश्त बिल भेजा है। संबधित दुकानदार लीजधारक जब नगर सेवा विभाग में बिजली का बिल और किराया की राशि जमा करने गए तो उनसे कहा गया कि सभी बिलों का भुगतान एक साथ करेंगे, तो ही बिल का पेंमेंट लिया जाएगा। जबकि छ.ग. विद्युत वितरण अधिनियम जिसके अंतर्गत बीएसपी एक लाइसेसी है। इससे इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि बिजली के बिल के साथ अन्य कोई बिल को मिलाकर बिल जारी नहीं किया जा सकता। बिजली का बिल पृथक से ही जारी किया जाता है। पूर्व में बीएसपी द्वारा भी बिजली का बिल अलग से जारी किया जाता था तथा उसका भुगतान भी पृथक से लिया जाता है। किन्तु वर्तमान में बीएसपी की मंशा है कि दुकानदारों से बिजली बिल से साथ ही अन्य देयकों की मांग की जा रही है। और यदि दुकानदार संपूर्ण बिल अदा करने में असमर्थ रहता है। तो बिजली का बिल नहीं अदा करने के आड़ में बिजली डिसकनेक्शन कर दिया जाए। जो कि पूर्वत: नियम विरूद्ध है।
भिलाई इस्पात संयंत्र पूर्व में ही वर्ष 1970-80 से तात्कालिन साड़ा एवं वर्तमान में नगर निगम भिलाई को अपने संपूर्ण सम्पत्ति का सम्पत्ति कर अदा करते आ रहा था। और बीएसपी में अदा किए गए संपत्तिकर की मांग दुकान दारों एवं लीजधारको एवं थर्ड पार्टी एलाटी से कभी नहीं की थी। किन्तु अचानक वर्ष 2013-14 से बीएसपी ने नगर निगम भिलाई में जमा किए गए संपत्ति कर की वसूली संबंधित दुकानदारों, लीज धारकों, थर्ड पार्टी एलाटी से करना प्रारंभ कर दिया। जो कि नगर पालिक अधिनियम 1956 के प्रावधानों के खिलाफ है। क्योंकि संपत्तिकर की वसूली का अधिकार केवल नगर पालिक निगम को है।
बाद में वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 में जमा किए गए संपत्तिकर की मांग भी की जाने लगी। जिससे जन आक्रोश भडक़ा और तब पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने बीएसपी के तात्कालिन सीईओ एवं अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की तथा इसमें निर्णय लिया गया कि वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 का संपत्तिकर नहीं लिया जाएगा। लेकिन इस बीच बीएसपी के सीईओ रिटायर्ड हो गए। तथा राज्य सरकार भी बदल गई। इसका फायदा उठाते हुए बीएसपी फिर अपने ही अधिकारियों के निर्णय के विपरीत जाकर तथा जिम्मेदार अधिकारियों की उपस्थिति में लिए गए निर्णय से मुकर रही है। तथा पुन: बीते दो साल का संपत्तिकर की मांग कर रही है। साथ ही 18 प्रतिशत ब्याज भी जोड़ कर संपत्तिकर जमा करने के लिए बिल भेज दिया है। संपत्तिकर की राशि का बिजली बिल, पानी का बिल तथा अन्य देनदारी के साथ जोडक़र एकमुश्त जमा करने कह रही है। जो उचित नहीं है। इससे टाउनशिप के लोगों में काफी आक्रोश है तथा नगर सेवा विभाग का ऐसा ही रैवया रहा तो कभी भी विस्फोट स्थिति निर्मित हो सकती है।
नगर के व्यापारिक संगठन एवं लीज धारक वर्तमान विधायक देवेेंद्र यादव से मिलकर इस प्रकरण का समाधान करने हेतु निवेदन करने का मन बना रहे हैं। दो वर्ष पूर्व भी भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा बिजली के बिल को अन्य बिल के साथ जोडक़र दिया जा रहा था। जिसके संबंध में न्यू सिविक सेंटर के दुकानदारों ने जिला विद्धुत विवाद प्रतितोषण फोरम मरोदा भिलाई के समक्ष आवेदन प्राप्त किया गया था। जिसमें फोरम के अधिकारियों ने स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि भिलाई इस्पात संयंत्र विद्युत बिल के साथ अन्य देयकों को जोड़ कर बिल जारी नहीं कर सकती। जिसके बाद बीएसपी विद्युत बिल अलग से देती थी। किन्तु फिर समय का फायदा उठाते हुए बीएसपी फोरम के आदेश की अव्हेलना करते हुए विद्धुत बिल को अन्य बिल के साथ जोडक़र वसूली करना चाहती है जो नियम के विरूद्ध है। भिलाई इस्पात संयंत्र विद्युत वितरण के लिए लायसेंस धारक है। छ.ग. विद्युत वितरण अधिनियम में लायसेंस धारक का कर्तव्य है कि वह अपने क्षेत्र में विद्युत वितरण एवं बिल संबंधी विवादों के निराकरण के लिए अधिकनियम में उल्लेखित योग्यता के व्यक्ति की विद्युत उभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम के अध्यक्ष के रूप में पदस्थापना करें। लेकिन आश्चर्य का विषय है कि पिछले वर्ष से भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा विद्युत वर्ष से भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा बिजली उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है। जो लाइसेंस धारक के रूप में बीएसपी को एक घोर अनियमित्ता है।
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