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*तुलसी विवाह के दिन से शुरु हो जाता है मांगलिक कार्य-पं.सुधीर शुक्ला*

यद्यपि भगवान क्षण भर भी नहीं सोते हैं।फिर भी भक्तों की भावना *यथा देहे तथा देवे* के अनुसार भगवान चार मास शयन करते हैं,पं. सुधीर शुक्ला काँचरी में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी एवं श्रीमदभागवत महापुराण के व्यास है ज्योतिष में अच्छी पकड़ रखते है। महाराज जी ने भगवान श्री हरि विष्णु विषय में बड़ी रोचक कथा से अवगत कराया।भगवान भाद्रपदमास की शुक्ल एकादशी को महा पराक्रमी शंखासुर नामक राक्षस को मारा था। और उसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु को थकान लगी और वह थकान दूर करने के लिए क्षीरसागर में जाकर सो गए। वह चार माह तक सोते रहे।और कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को जगे इस कारण कार्तिक एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी नाम पड़ गया। इस दिन व्रत के रूप में उपवास करने का विशेष महत्व है। एक समय फलाहार करना चाहिए। और संयम नियम पूर्वक रहना चाहिए। इस दिन भगवान नाम संकीर्तन जप का विशेष महत्व होता है,इस तिथि को रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। वाद्य नृत्य गायन के साथ पुराणों की पाठ करनी चाहिए व कथा श्रवणपान करना चाहिए, श्री हरि को धूप दीप नैवेद्य पुष्प चंदन फल आदि से भगवान की पूजा करनी चाहिए ।घंटा शंख मृदंग वाद्य वाद्य यंत्रों द्वारा मांगलिक गीत गाने चाहिए।महाराज जी ने तुलसी विवाह के विषय में भी कहाँ कि कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन लोग तुलसी विवाह का भी आयोजन करते हैं। तुलसी वैष्णव परम्परा को मानने वालों के लिए परम आराध्य पौधा है। कोई तो भगवान के श्री विग्रह के रूप में तुलसी जी कि विवाह बड़ी धूमधाम से मनाते हैं ।भाव मे भगवान का वास होता है। लोग तुलसी जी के पौधे को गमला गेरुआ दी से सजाकर उसके चारों ओर एक मंडल बनाकर उसमें ऊपरी ओढनि सुहाग के प्रतीक चुनरी उड़ाते हैं ।गमले को साड़ी में लपेटकर तुलसी को चूड़ी पहनाकर उसका श्रृंगार करते हैं। गणेश आदि देवताओं की पूजा के साथ शालिग्राम जी विधिवत तुलसी महारानी की पूजा करके तत्पश्चात एक नारियल दक्षिणा के साथ टीका के रूप में रखते हैं।और भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी जी की सात परिक्रमा करते है।और आरती के पश्चात विवाह उत्सव पूर्ण गीत का गायन कर विवाह के समान अन्य कार्य करते हैं ।भगवान नारायण से तुलसी का विवाह करके उत्सव व के मंगल गीत भी गाए जाते हैं।
कोरोना काल के बाद जन समुदाय पुनः समूह में मांगलिक कार्य करना प्रारंभ कर दिया है।वैक्सीन टीकाकरण के बाद कोरोना का भय कम हुआ।परन्तु सावधानी रखते हुए विवाह उत्सव का आयोजन आम जनमानस को मांगलिक उत्सव आ आयोजन करना चाहिए।

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