रामकृष्ण मिशन आश्रम नारायणपुर को मिला राज्य अलंकरण यति यतन लाल सम्मान, कलेक्टर श्री धर्मेश कुमार साहू ने दी बधाई Ramakrishna Mission Ashram Narayanpur got the state decoration Yeti Yatan Lal Samman, Collector Dharmesh Kumar Sahu congratulated

रामकृष्ण मिशन आश्रम नारायणपुर को मिला राज्य अलंकरण यति यतन लाल सम्मान, कलेक्टर श्री धर्मेश कुमार साहू ने दी बधाई
नारायणपुर, 2 नवम्बर 2021- राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके एवं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नारायणपुर जिले के रामकृष्ण मिशन आश्रम को अहिंसा एवं गौ रक्षा के लिए यति यतन लाल सम्मान पुरस्कार राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में प्रदान किया।आश्रम की ओर से स्वामी अलिप्तात्मानन्द ने पुरुस्कार प्राप्त किया। पुरुस्कार प्राप्त करने के लिए कलेक्टर श्री धर्मेश कुमार साहू ने बधाई व शुभकामनाएं दी है।
रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव ने बताया कि रामकृष्ण मिशन आश्रम नारायणपुर 1985 से गौसेवा व गौरक्षा में प्राणपण से समर्पित है। गांव की अर्थव्यवस्था को सुधारने और पशुओं को संरक्षण देने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की महत्वपूर्ण योजन सुराजी गांव योजना को शुरू किया गया है। इस योजना का सफल क्रियान्वयन रामकृष्ण मिशन आश्रम द्वारा किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप ही यह पुरस्कार आश्रम को प्रदान किया गया है। वर्तमान में आश्रम गौशाला में लगभग 150 गाय व बछड़े हैं। गौशाला को देखकर मन आनंद से भर उठता है। साफ-सुथरे, फर्श लगे कमरे, जहाँ मच्छरदानी और पंखे की हवा में गौमाता चैन से जुगाली करती नजर आती है। भगवान कृष्ण के रसमय भजनों के बीच दुध दुहते ग्वाले ‘गोकुल धाम’ की परिकल्पना को साकार करते हैं। गायों के भोजन व सफाई की उत्तम व्यवस्था, उस कार्य में लगे कर्मचारियों व उनके मार्गदर्शक संन्यासियों की जागरूकता का परिणाम है। आश्रम के प्रारंभिक दिनों से लेकर आज तक गौसेवा उत्तरोतर प्रगति पथ पर अग्रसर है। कृषि प्रशिक्षण केन्द्र ब्रेहबेड़ा में अबूझमाड़ के रहवासियों को गौपालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह कार्य न केवल उन्हें आर्थिक सम्पन्नता देता है अपितु गौरक्षा की दिशा में एक ठोस कदम है। अबूझमाड़ के भीतरी केन्द्र कुन्दला व आकाबेड़ा में आश्रम गौशाला का प्रावधान है कुन्दला की गौशाला लगभग पूर्ण हो चुकी है। जल्द ही वहाँ भी गौसेवा प्रारंभ की जा सकेगी। आश्रम गौ शाला सभी गौ प्रेमियों के लिए एक उदाहरण है। वर्तमान में लगभग 500 लीटर दूध की उपलब्धता है। गौमाता से प्राप्त दूध व उससे बनने वाला पनीर, यहाँ अध्ययनरत विद्यार्थियों को स्वास्थ्य की दृष्टि से सबल व नीरोग बनाता है। गोबर, जैविक खाद के रूप में प्रयुक्त होकर फसलों व पौधों की वृद्धि में सहायता करता है।