जानिए ट्रोजन क्षुद्रग्रहों का अध्ययन कर क्या हासिल करेगा नासा का लूसी अभियान Know what NASA’s Lucy mission will achieve by studying Trojan asteroids

नासा (NASA) हमारे सौरमंडल के अधअययन के लिए केवल उसके ग्रहों का ही नहीं बल्कि क्षुद्रग्रहों और उलकाओं का भी अध्ययन करता है. इसी प्रयास में अब नासा ने अपने नए अभियान लूसी (Lucy Mission) की जांच कर ली है और जिसका प्रक्षेपण वह आगामी 16 अक्टूबर को करने जा रहा है. यह नासा का पहला अंतरिक्ष यान होगा जो गुरु ग्रह के ट्रोजन क्षुद्रग्रहों (Trojan Asteroids) का विशेष अध्ययन करेगा. नासा का कहना है कि उसे उम्मीद है कि इसके जरिए होने वाले अध्ययनों से सौरमंडल के इतिहास के बारे में जानकारी मिल सकेगी.
क्या होते हैं ये ट्रोजन क्षुद्रग्रह
ट्रोजन नाम ग्रीक मिथास के चरित्रों से आया है. ये क्षुद्रग्रह सूर्य का चक्कर समूह में लगाते हैं, लेकिन इनकी कक्षा वही होती है जो गुरु ग्रह की होती है. इनमें से एक समूह गुरु ग्रह के आगे चलता है जबकि दूसरा समूह उसके पीछे चलता है. लूसी न क्षुद्रग्रहों का अवलोकन करने वाला पहले अंतरिक्ष यान होगा.
सौरमंडल का इतिहास
वैज्ञानिकों का कहना है कि इन क्षुद्रग्रह के अध्ययन वे उन सिद्धांतों का परीक्षण कर पाएंगे जो 4.5 अरब साल पहले हमारे सौरमंडल के ग्रहों के निर्माण के बारे में बताते हैं और वे आज की स्थिति में कैसे पहुंचे. माना जाता है कि क्षुद्रग्रह के निर्माण के बाद उनकी रासायनिक संरचना में बदलाव नहीं आया है और ये बिलकुल वैसे ही हैं जैसे अरबों साल पहले थे.
लूसी नाम क्यों
इस अंतरिक्ष यान को लूसी नाम पृथ्वी पर पाए गए पुरातन जीवाश्म के आधार पर दिया गया है, जिससे वैज्ञानिकों को मानव प्रजाति के विकासक्रम की पहली बार जानकारी मिली थी. इस यान को अमेरिका के फ्लोरीडा स्थित केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन फ्लोरीडा से 16 अक्टूबर को प्रक्षेपित करने की योजना है.
कुल 8 क्षुद्रग्रहों का अध्ययन
पृथ्वी के गुरुत्व से बल मिलने के बाद लूसी 12 साल की यात्रा में 8 अलग अलग क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करेगा. इनमें से एक क्षुद्रग्रह मंगल और गुरु ग्रह के बीच की क्षुद्रग्रह की पट्टी का होगा जबकि सात अन्य ट्रोजन क्षुद्रग्रह होंगे. इस अभियान के प्रमुख हाल लेविसन ने बताया है कि ये क्षुद्रग्रह बहुत ही छोटे इलाके में मौजूद हैं, फिर भी ये भौतिक रूप से एक दूसरे से बहुत अलग हैं.अंतर के अध्ययन से पता चलेगा
ट्रोजन क्षुद्रग्रहों की कुल संख्या करीब सात हजार है जिनमें से इन आठ क्षुद्रग्रहों को छांटा गया है. लेविसन का कहना है कि ये इनके अलग अलग रंग हैं, कुछ धूसर रंग के हैं तो कुछ लाल रंग के हैं. इन क्षुद्रग्रह के अंतर बताते हैं कि वर्तमान कक्षा में आने से पहले ये सूर्य से कितनी दूरी पर बने होंगे.