आकाशगंगा के प्रिमियम शराब दुकान को स्थानांतरित करने सीएम को दिया ज्ञापन,: Memorandum given to CM to transfer the premium liquor shop of Galaxy

स्थानांतरित नही होने पर राहुल गांधी से करेंगे शिकायत
शराब दुकान के सेल्समेनों द्वारा खुलेआम किये जा रहे मारपीट से मार्केट में भय का माहौल
भिलाई। लघु उद्योग व्यापारिक संघ के युवा अध्यक्ष शिव ताम्रकार ने प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल को गत दिवस उनके जन्म दिवस के अवसर पर भिलाई तीन सीएम हाउस पहुंचकर आकाशगंगा स्थित प्रिमियम शराब दुकान को अन्यत्र स्थानांतरित किये जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार इस ओर गंभीरता नही दिखायेगी तो वह सीधे दिल्ली कूच करके युवराज राहुल गांधी से भी इसकी शिकायत करेंगे। श्री ताम्रकार ने आगे बताया कि जो आकाशगंगा का क्षेत्र है यह स्थान प्रमुख व्यवसायी केन्द्र है। यहां पर सभी लोग अपने परिवार के साथ भ्रमण करने एवं खरीदी करने आते हैं और आकाशगंगा के प्रिमियम शराब दुकान के आस पास बडे बडे होटल एवं काफी हाउस जैसे रेस्टारेंट हैं जिसके कारण लोग यहां देर रात तक अपने परिवार व बच्चियों के साथ आना जाना करते हैं। प्रिमियम शराब दुकान के पास ही लोग गाड़ी में बैठकर शराब का सेवन करते है, साथ ही प्रिमियम शराब दुकान के कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों के साथ यहां खुलेआम मारपीट करना आम बात हो गई है जिससे परिवार के साथ आने जाने वाले लोगों में भय का माहौल उत्पन्न रहा है। सरकार के राजस्व का हम सम्मान करते है लेकिन इस दुकान के खुलने से कर्मचारियों की हरकत से शासन प्रशासन की छवि खराब हो रही है। इससे पहले आज तक आकाशगंगा क्षेत्र में शराब दुकान का संचालन नही हुआ। आबकारी विभाग भी इस ओर गंभीरता से ध्यान नही देता। श्री ताम्रकार ने पुलिस अधीक्षक दुर्ग और मुख्य सचिव से भी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
बॉक्स मे गत दिवस प्रिमियम शॉप में एक ग्राहक द्वारा जब बीयर की मांग की गई और विविधत बीयर के दाम का भुगतान भी किया गया चूकि बीयर ठंढी नही थी इस पर ग्राहक ने आपत्ति जताई तो दुकान के भीतर बैठे कर्मचारियों ने बीयर की बोतल का पैसा तो लौटाया लेकिन ग्राहक को खरी खोटी सुनाते हुए दो थप्पड़ रसीद कर दिये। मामला सुपेला थाने भी पहुंचा था सुपेला पुलिस ने दो कर्मचारियों को तलब भी किया था लेकिन राजनीतिक के चलते व आबकारी विभाग के दबाव के कारण मामले में अंतत: सामने वाले ग्राहक को ही झुकना और समझौता करना पड़ गया। ऐेसे में आबकारी विभाग को चाहिए कि वह सुलझे व समझदार लोगों को कांउटर में रखे न कि गुण्डे और लठैतो को रखे। चूंकि अब शराब दुकान का संचालन स्वयं सरकार कर रही है, ठेकेदार नही कर रहे है। जब ठेकेदारी प्रथा चलती थी तब गुण्डे पण्डे और लठैतों का दबदबा चलता था लेकिन अब तो दबदबा नही है। शराब बेचना है तो ग्राहकों से सम्मानित ढंग से पेश होना होगा। क्योंकि सीधे तौर पर ऐसे हरकतों का असर राज्य सरकार पर पड़ता है और राज्य सरकार के मुखिया की छवि खराब होती है।