अपील मूर्तियों के विसर्जन से जल स्त्रोतों में पड़ता है विपरीत प्रभाव-आयुक्त बर्मन: Appeal Immersion of idols has adverse effect in water sources – Commissioner Burman
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दुर्ग। नगरीय निकाय और विकास विभाग द्वारा मूर्तियों के विसर्जन से राज्य के जल से स्त्रोतों की जल गुणवत्ता पर पढऩे वाले विपरीत की रोकथाम के सबन्ध संशोधित दिशा निर्देश जारी किया गया,आज निगमायुक्त हरेश मंडावी के निर्देश पर अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी के लिए बनाई टीम।तालाबो में गणेशजी की मूर्ति विसर्जन के अवसर पर अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रत्येक प्रतिमा विसर्जन स्थल के पहले विसर्जन के दौरान व विसर्जन के एक सप्ताह बाद जल गुणवत्ता की जॉच करे। जल स्त्रोतों की क्षेत्रानुसार सेम्पलिंग बिन्दु निश्चित करने के निर्देश भी दिये। यह उल्लेखनीय है कि जल स्त्रोतो में प्रतिमाओं के विसर्जन के फलस्वरूप जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है, क्योंकि मूर्ति निर्माण में उपयोग किये जाने वाले अप्राकृतिक रंगो में विषैले रसायन होते है, साथ ही प्रतिमाओं के साथ फूल, वस्त्र एवं सजावटी सामान, रंगीन कॉगज व प्लास्टिक आदि प्रतिमाओं के साथ विसर्जित हो जाती है।
दुर्ग निगमायुक्त हरेश मंडावी ने सभी गणमान्य नागरिकों से अनुरोध किया कि वे जल की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव न पड़े इसलिए जल प्रदाय वाले स्त्रोतों पर मूर्तियों का विसर्जन न किया जाए। प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए पहले से निश्चित किये गए स्थानों पर ही विसर्जन करें जिससे अन्य नादियों, तालाबो को प्रदूषण होने से बचाया जा सके । प्रतिमाओं के साथ लाई गई सामग्री जैसे वस्त्र, पूजन सामग्री, प्लास्टिक का सामान, पॉलीथिन आदि जैसे सामग्रीओं को नादि, तालाबों में विसर्जन के दौरान न डाले।
प्रतिमा विसर्जन हेतु निर्मित तालाब में मूर्ति विसर्जन कराया जाए जो चारों तरफ से घिरा हो तथा तल में सिन्थेटिक लाइनर लगाया जाता है। जिसमें विसर्जन के उपरान्त बचे हुए अवशेषों को किनारे पर लाकर वा मिट्टी इत्यादि को लैण्ड फिल में डाला जाता है तथा लकड़ी व बांस को पुन: उपयोग किया जा सके। मूर्ति विसर्जन के बाद 24 घण्टे के अन्दर जल स्त्रोतों में विसर्जित फूल, वस्त्र, एवं सजावटी सामान को निकाल लिया जाए जिससे जल जीवन पर मूर्ति विसर्जन का न्यूनतम विपरीत प्रभाव पड़े तथा मूर्ति विसर्जन स्थलों के पास ठोस अपशिष्टो को न जलाया जाए।