महीनों से खड़ी रोडवेज (roadways) की बसें बनी शोपीस,रोजाना विभाग को हो रहा लाखो का नुकसानAIIMS Rishikesh launches ‘7 Plus’ campaign against dengue Roadways buses parked for months became a showpiece, loss of lakhs to the department every day

इन बसों का संचालन न होने से निगम को प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख की चपत लग रही है.महीनों से बसों का संचालन बंद है जिस कारण अब तक करीब 50 लाख से ज्यादा का चूना विभाग को लग चुका है. वही संविदा से जुड़े चालक और परिचालक को भी रूट पर जाने से वंचित होना पड़ रहा है.गढ़मुक्तेश्वर रोडवेज डिपो से आसपास के जनपदों समेत कई राज्यों के लिए बसों का संचालन होता है.
महीनों से खड़ी रोडवेज की बसें बनी शोपीस,रोजाना विभाग को हो रहा लाखो का नुकसान
उत्तरप्रदेश के जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर डिपो में टायरों के अभाव में रोडवेज डिपो के अंदर 15 से अधिक बच्चे धूल फांक रही हैं, इन बसों का संचालन न होने से निगम को प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख की चपत लग रही है.महीनों से बसों का संचालन बंद है जिस कारण अब तक करीब 50 लाख से ज्यादा का चूना विभाग को लग चुका है. वही संविदा से जुड़े चालक और परिचालक को भी रूट पर जाने से वंचित होना पड़ रहा है.गढ़मुक्तेश्वर रोडवेज डिपो से आसपास के जनपदों समेत कई राज्यों के लिए बसों का संचालन होता है, डिपो के अंदर 15 से अधिक बसें पिछले एक माह से शोपीस बनकर खड़ी धूल फांक रही हैं. जिसका मुख्य कारण बसों के खराब हो चुके टायरों का ना बदला जाना है. डिपो की वर्कशॉप में खड़ी इन बसों के टायर पूरी तरीके से खराब हो चुके हैं. बसे अब टायर बदलने की राह देख रही हैं, लेकिन विभागीय स्तर से उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है रूटों पर बसों का संचालन होने के कारण यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा है. जिसके चलते महिला बच्चों समेत हजारों यात्रियों को निजी एवं डग्गामार वाहनों में सफर करने को मजबूर होना पड़ता है. इसके अलावा बसों का संचालन ना होने पर संविदा पर कार्यरत चालक परिचालक की खाली बैठने को मजबूर हैं.चालक और परिचालकों का कहना है कि टायर ना बदलने की वजह से डिपो में 15 से अधिक बसें धूल फांक रही हैं. जिससे उन्हें संबंधित रूटों पर ना जाकर खाली बैठने के साथ ही आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ रहा है.तो वही सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार का कहना है कि खराब हुए टायरों को बदलने के लिए काफी समय से निरंतर निगम के उच्चाधिकारियों के साथ पत्राचार किया जा रहा है. कई बार संविदा पर तैनात कर्मचारियों के बारे में भी बताया गया है, लेकिन अभी तक मुख्यालय से कोई आपूर्ति नहीं हो सकी है.