संविधान को देश के प्रत्येक नागरिक को पढ़ना चाहिए Constitution should be read by every citizen of the country

जिसमें अधिकार के साथ कर्तव्य को विस्तार से बताया गया है
दुर्ग/ 19 जुलाई से 25 जुलाई तक चलाए जा रहे विशेष अभियान के अंतरगत आज दुर्ग गांधी चौक हिंदी भवन के सामने राजेश श्रीवास्तव जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देश पर रोको-टोको अभियान के अंतर्गत एवं कानूनी विधिक जानकारी दिये जाने के संबंध में आनंद वरीहाल अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं भानु प्रताप सिंह त्यागी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश उपस्थित होकर बताया कि देश का कानून छोटे बड़े सभी पर लागू होता है। संविधान में स्वतंत्रता और समानता का अधिकार है। देश में व्यक्ति विशेष राजा या राज्य नहीं है। कानून से बड़ा कोई व्यक्ति समाज या धर्म नहीं कानून की सीमा में सभी है। अगर कोई अज्ञानता में भी अपराध करता है तो वह माफी का अधिकार नहीं रखता। हर व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से बोलने की अभिव्यक्ति है लेकिन बोलने मात्र से कोई आहत होता है तो वहां पर आहत होने वाला व्यक्ति का मौलिक अधिकार का हनन होता है। संविधान में प्रदान किया गया है कि हम जिस वातावरण में रहते हैं वह स्वच्छ रहे परंतु पॉलिथीन की पन्नियों में लोग कूड़ा भरकर फेंकते हैं जिससे वातावरण प्रदूषित होता है। कूड़े के ढेर में खाद्य पदार्थ खोजते हुए पशु पन्नी निगल जाते हैं। ऐसे में पन्नी उनके पेट में चली जाती है। बाद में ये पशु बीमार होकर दम तोड़ देते हैं। प्लास्टिक और पॉलिथीन गाँव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। शहर का ड्रेनेज सिस्टम अक्सर पॉलिथीन से भरा मिलता है। इसके चलते नालियाँ और नाले जाम हो जाते हैं। इसका प्रयोग तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक बैगों के अंदर सिंथेटिक पालीमर नामक एक पदार्थ होता हैए जो कि प्रर्यावरण के लिए काफी हानिकारक होता है और क्योंकि यह नान-बायोडिग्रेडबल होता है, इसी वजह से इसका निस्तारण भी काफी कठिन है। प्लास्टिक बैग वजन में काफी हल्के होते है इसलिये ये हवा द्वारा आसानी से एक जगह से दूसरी जगह उड़ा कर इधर-उधर बिखेर दिये जाते है।
राष्ट्रीय सम्मानों का अपमान रोकथाम अधिनियमए 1971 की धारा 2 के अनुसार सार्वजनिक स्थान पर या लोगों की नजर में किसी अन्य स्थान पर कोई राष्ट्रध्वज को जलाता या तोड़फोड़ करता है, विकृत करता है, नष्ट करता है या अन्य तरीके से उसके प्रति असम्मान दिखाता है तो उसे अधिकतम तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी हो सकता है और कारावास तथा जुर्माना दोनों से भी दंडित किया जा सकता है। महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक या खेलकूद कार्यक्रमों में बस कागज के तिरंगे का ही इस्तेमाल किया जाए और कार्यक्रम के पश्चात उन्हें जमीन पर फेंका नहीं जाए। इन झंडों का उनकी गरिमा के अनुसार निस्तारण किया जाए।