कोरोना काल में गौठान बनें ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार In the Corona period, the Gothan became the basis of rural economy
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कोरोना काल में गौठान बनें ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार
कांकेर- कोरोना के संक्रमण से जहां सभी प्रकार के व्यापार व व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं, वही ग्राम सुराजी योजना के तहत् निर्मित गौठानों में महिला स्व-सहायता समूह के द्वारा विभिन्न आर्थिक गतिविधियां जैसे- वर्मीकंपोस्ट उत्पादन, मुर्गी पालन, सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन इत्यादि कार्य किया जाकर आमदनी प्राप्त की जा रही है। चारामा विकासखण्ड के आंवरी गोठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन, मुर्गी पालन, सब्जी उत्पादन, मक्का एवं अरहर तथा मशरूम उत्पादन कर स्व-सहायता समूह की महिलायें गांवो में तथा आसपास के गांवो में मुर्गी तथा सब्जी बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ शासन की ग्राम सुराजी योजना के तहत निर्मित आंवरी गौठान स्थानीय स्वसहायता समूह की महिलाओं को रोजगार दिलाने के साथ उनको आमदनी भी उपलब्ध करा रही है।
जिला पंचायत कांकेर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डाॅ संजय कन्नौजे ने कहा कि कोराना संक्रमण के इस दौर में राज्य शासन की ग्राम सुराजी योजना के तहत् नरूवा, गरूवा, घुरूवा व बाड़ी ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है। चारामा विकासखण्ड के ग्राम आंवरी गौठान की गुरू घासी दास महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा 33 हजार रूपये का वर्मी विक्रय किया गया है। इसी प्रकार जय अम्बे स्व-सहायता समूह की महिलायें बिहान योजना के तहत बैंक लिंकेज व पशु विभाग के अभिसरण से कड़कनाथ मुर्गी पालन का कार्य कर रही है, उनके द्वारा 01 लाख 22 हजार 500 रूपये का मुर्गी विक्रय किया गया है। जय सफुरा माता समूह के द्वारा सब्जी ,मक्का व अरहर उत्पादन कर 01 लाख 32 हजार का सब्जी विक्रय किया गया है। इस प्रकार आंवरी गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा वर्मी कम्पोस्ट, मुर्गीपालन, सब्जी उत्पादन, मक्का एवं अरहर व मशरूम उत्पादन कर 02 लाख 96 हजार 500 रूपये में विक्रय किया गया, जिसमे उन्हे 02 लाख रूपये की शुद्ध आमदनी हुई। गौठान में काम करने वाली प्रति महिला सदस्यों को 8 से 10 हजार रूपये का फायदा हुआ है।
जिला पंचायत सीईओ डाॅ कन्नौजे ने कहा कि जिले मंे इसी प्रकार से श्रीगुहान गौठान, कर्रामाड़, नवागाव भावगीर, लूलेगोन्दी इत्यादि गौठानों में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा मल्टी-एक्टिविटी गतिविधियाॅ कर न केवल रोजगार प्राप्त कर रही है बल्कि उससे आमदनी प्राप्त कर अपनी आजीविका भी चला रही है, जिससे उनके सामाजिक व आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हुई है।