माकपा का गंभीर आरोप : 45 लाख गरीब परिवार और 5 लाख टन राशन घोटाला! कहा — गरीबों के पेट से निवाला छीनने वाली सरकार!! राज्य सरकार सभी गरीब परिवारों को वितरित करें यह अतिरिक्त अनाज Serious CPI-M allegations: 45 lakh poor families and 5 lakh tonnes ration scam! Said – the government that snatches morsel from the stomach of the poor !! State government should distribute this extra grain to all poor families
*भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)*
*छत्तीसगढ़ राज्य समिति*
*नूरानी चौक, राजातालाब, रायपुर, छग*
*माकपा का गंभीर आरोप : 45 लाख गरीब परिवार और 5 लाख टन राशन घोटाला! कहा — गरीबों के पेट से निवाला छीनने वाली सरकार!! राज्य सरकार सभी गरीब परिवारों को वितरित करें यह अतिरिक्त अनाज*
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार पर कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए अतिरिक्त खाद्यान्न में 5 लाख टन राशन घोटाले का सनसनीखेज आरोप लगाया है तथा मांग की है कि गरीबों के मुंह से छीन गए इस अतिरिक्त अनाज का तुरंत वितरण किया जाए।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि केंद्र सरकार ने मई-जून माह के लिए सभी राशन कार्डधारी परिवारों को प्रति व्यक्ति 5 किलो प्रति माह अतिरिक्त खाद्यान्न का आबंटन किया है, लेकिन इसको पूरा वितरित करने के बजाय भूपेश सरकार प्राथमिकता प्राप्त 4 या इससे अधिक सदस्यों वाले परिवार को प्रति सदस्य 3 किलो प्रति माह के हिसाब से ही इस अतिरिक्त खाद्यान्न को देने का निर्णय लिया है, जबकि 3 सदस्यों तक के गरीबी रेखा से नीचे के प्राथमिकता प्राप्त परिवारों को इस अल्प वितरण से भी वंचित कर दिया गया है। सरकार द्वारा प्रसारित विज्ञापन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार के इस निर्णय से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 25 लाख से अधिक परिवार अतिरिक्त खाद्यान्न आबंटन से पूरी तरह वंचित हो गए हैं, जबकि 20 लाख परिवार केवल आंशिक उपभोग ही कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि पिछली कोरोना लहर में भी इस सरकार ने गरीब जनता को मिलने वाले राशन में इसी तरह की डकैती डाली थी।
पराते ने कहा कि उदार अनुमान के हिसाब से भी प्रदेश के 45 लाख गरीब परिवारों को एक लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न प्राप्त करने से वंचित किया गया है। पिछली कोरोना लहर में 8 माह के लिए आबंटित अतिरिक्त खाद्यान्न को मिलाकर यह खाद्यान्न घोटाला 5 लाख टन का होता है। माकपा नेता ने पूछा है कि सरकार यह बताए कि गरीबों के पेट से छीने गए इस अतिरिक्त खाद्यान्न का उसने क्या उपयोग किया है? उन्होंने कहा कि ऐसा फैसला जन-स्वास्थ्य के साथ सीधे-सीधे खिलवाड़ करना है। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा भेजे गए खाद्यान्न में कटौती करके वितरित करने का राज्य सरकार को कोई अधिकार नहीं है।
माकपा नेता ने कहा कि कोरोना महामारी और अनियोजित लॉक डाऊन के कारण रोजी-रोटी खत्म हो गई है और लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं, लोगों को खाद्यान्न सुरक्षा देने के बजाए अतिरिक्त खाद्यान्न वितरण में कटौती करने का भूपेश सरकार का यह फैसला शर्मनाक है और केंद्र सरकार के निर्देशों का उल्लंघन भी।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय लोगों की प्रतिरक्षा शक्ति बनाये रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्हें पर्याप्त पोषण-आहार उपलब्ध कराने की जरूरत है। लेकिन ऐसा करने के बजाय यह सरकार उनके लिए केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे खाद्यान्न को भी देने से इंकार कर रही है।
माकपा ने मांग की है कि गरीबों से अवैध और अनुचित तरीके से छीने गए इस अतिरिक्त अनाज का वितरण प्राथमिकता प्राप्त गरीब परिवारों को किया जाएं, ताकि वे इस कोरोना महामारी के दौरान पर्याप्त पोषण-आहार अर्जित कर सके।
*संजय पराते*
सचिव, माकपा, छग
(मो) 094242-31650