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2 माह की मासूम की मौत के बाद अब उठने लगी दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग

बीते दिनों दुर्ग जिला अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई थी जो अब तुल पकड़ती दिखाई दे रही है, अब इस मामले को लेकर लगातार स्थानीय जनप्रतिनिधि और समाज सेवी संगठन भी जमकर जिला प्रशासन की आलोचना करते दिखाई दे रहे है ! इसी कड़ी में आज श्रीराम जन्मोत्सव समिति के द्वारा जस्टिस फॉर रूही के तहत कैम्पेन चलाकर शासन प्रशासन का ध्यान इस मामले की तरफ करने की मुहीम शुरू करने की बात कही है, समिति के युवा शाखा अध्यक्ष मनीष पाण्डेय ने कहा की 2 माह की बच्ची को जरुर इन्साफ मिलेगा ताकि इस तरह की लापरवाही दोबारा किसी के साथ न हो और दोषियों पर भी कड़ी कार्रवाई हो। इस विषय पर श्री पाण्डेय ने कलेक्टर दुर्ग से मांग की है कि जल्द से जल्द मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करें अन्यथा रूही को न्याय दिलाने के लिए सड़क तक की लड़ाई लड़ी जायेगी ।

गौरतलव है कि 26 अप्रेल को इलाज के आभाव में 2 महीने की मासूम ने एम्बुलेंस में दम तोड़ दिया था, जिसको लेकर परिजनों ने दुर्ग जिला अस्पताल समेत एम्बुलेंस के चालक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसको सज्ञान में लेते हुए जिला कलेक्टर ने चार लोगो की टीम बनाकर मामले की जांच करने के आदेश भी दे दिए, जाँच के दौरान जांच टीम के द्वारा मृतक के मामा को बुलाकर यह बताने का प्रयास किया गया कि कुछ त्रुटी हुई है लेकिन वो मानवीय त्रुटी है, अब जिला अस्पताल में बच्चों का वेंटीलेटर होते हुए, सिर्फ इसलिए की किसी को चलाना नहीं आता, इसलिए मरीज को गंभीर अवस्था में दुसरे अस्पताल में रिफर कर देना, और मरीज की पर्ची में कोरोना टेस्ट पाजिटिव लिख देना और रिफर किये जाने वाले अस्पताल से बिना जानकारी लिए की वहा कोविड के मरीज का इलाज संभव है या नहीं ये जाने बगैर डॉक्टर द्वारा रिफर किया जाना कहा तक मानवीय त्रुटी को दर्शाता है, वो भी एक जिला अस्पताल से दुसरे जिला अस्पताल के लिए रिफर किया जाना कहा तक सही है जबकि रिफर कभी भी अपने से बड़े अस्पताल में ही किया जाता है, बच्ची को गंभीर अवस्था में इस प्रकार रायपुर में एक अस्पताल से दुसरे अस्पताल तब भटकना और इलाज के आभाव में बच्ची मौत हो जाना कहा तक मानवीय त्रुटी है? एम्बुलेंस में बच्ची की मौत हो जाती है और एम्बुलेंस ड्राईवर बच्ची को परिजन को सौप निजी वाहन से वापस घर ले जाने को कहकर चले जाना कहा तक मानवीय त्रुटी है, सिविल सर्जन का कहना है कि 108 का प्रोटोकॉल उसने फालो किया, क्या 108 का प्रोटोकॉल कोरोना के प्रोटोकॉल से भी भारी है? बच्ची के दाह संस्कार के सिर्फ चार घंटे बाद मोबाइल पर कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आना जबकि बच्ची की मौत का प्रमुख कारण बच्ची की पर्ची में कोरोना पाजिटिव लिखा होना था जिसकी वजह से समय रहते बच्ची को इलाज नहीं मिला, क्या अब ये भी मानवीय त्रुटी है? किसी की दुनिया लुट गई, किसी की गोद सुनी हो गई और जिला प्रशासन का कहना की ये एक मानवीय त्रुटी थी कहा तक जायज है !

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