कोरोना संकट पर बोली सुप्रीम कोर्ट- ये नेशनल इमरजेंसी, अदालत मूकदर्शक बनी नहीं रह सकतीीकोरोना संकट पर बोली सुप्रीम कोर्ट- ये नेशनल इमरजेंसी, अदालत मूकदर्शक बनी नहीं रह सकती Supreme Court bids on Corona crisis – this national emergency, the court cannot remain a mute spectator

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कोरोना महामारी (COVID-19 Pandemic) के प्रबंधन से संबंधित ऑक्सीजन की कमी और अन्य मुद्दों के मामले में सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने वैक्सीन के दाम, टीकों की उपलब्धता, ऑक्सीजन समेत कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा. तीन जजों की बेंच ने कहा कि वह शुक्रवार यानी 30 अप्रैल को दोपहर 12 बजे मामले की सुनवाई करेगी. केंद्र सरकार ने कहा कि वह शुक्रवार तक तमाम मुद्दों पर जवाब दे सकती है.
कोरोना संकट से निपटने के लिए राष्ट्रीय योजना को लेकर मंगलवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘जब हमें लगेगा कि लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए हमें हस्तक्षेप करना चाहिए, तब हम ऐसा करेंगे.’ सुनवाई के दौरान जस्टिस एस रवींद्र चंद ने केंद्र से पूछा, ‘संकट से निपटने के लिए आपकी राष्ट्रीय योजना (Covid-19 National Plan) क्या है? क्या इससे निपटने के लिए टीकाकरण मुख्य विकल्प है?’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राष्ट्रीय संकट के समय यह अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती. हमारा मकसद है कि हम हाईकोर्ट्स की मदद के साथ अपनी भूमिका अदा करें. हाईकोर्ट्स की भी अहम भूमिका है.’ सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इन सुनवाइयों का उद्देश्य हाईकोर्ट का दमन करना या उनके काम में दखलंदाजी करना नहीं है. उनकी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर क्या हो रहा है, वह इस बारे में बेहतर समझ रखते हैं.
हाईकोर्ट को कोई कठिनाई होती है, तो हम मदद करेंगे- जस्टिस चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है. इसके अलावा राष्ट्रीय संकट के समय सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक नहीं हो सकता. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि क्षेत्रीय सीमाओं के कारण किसी मुद्दे से निपटने में हाईकोर्ट को कोई कठिनाई होती है, तो हम मदद करेंगे.
दूसरी ओर जस्टिस रवींद्र भट ने वैक्सीन की कीमत का मुद्दा उठाया. जस्टिस भट ने पूछा कि ‘विभिन्न निर्माता अलग-अलग कीमतों के साथ आ रहे हैं. केंद्र सरकार इसके बारे में क्या कर रही है.’ जज ने कहा कि ‘पेटेंट अधिनियम की धारा 6 के तहत ड्रग्स कंट्रोलर एक्ट के पास शक्तियां हैं. यह महामारी और राष्ट्रीय संकट है. क्या यह ऐसी शक्तियों को इस्तेमाल में लाने का समय नहीं है? यह समय कब आएगा?’
इन मुद्दों पर केंद्र से कोर्ट ने मांगी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के मुद्दे पर कहा कि केंद्र को ऑक्सीजन की वर्तमान कुल उपलब्धता से अवगत कराए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति, राज्यों की अनुमानित जरूरत, केंद्रीय पूल से ऑक्सीजन के आवंटन का आधार, एक गतिशील आधार पर राज्यों की जरूरत को पूरा करने के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दें.
कोर्ट ने कहा कि जरूरी चिकित्सा उपकरणों, कोविड बेड्स , रेमेडीसविर, फेविविविर सहित आवश्यक दवाओं की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम के बारे में जानकारी दी जाए. टीकाकरण पर कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में, दो टीके उपलब्ध हैं- COVISHIELD और COVAXIN. केंद्र सरकार वैक्सीन की अनुमानित जरूरत के बारे में भी जानकारी दे. कोर्ट ने कहा है कि एक एफिडेविट के जरिए केंद्र सरकार वैक्सीन्स की कीमत तय करने का आधार के बारे में भी स्पष्टीकरण दे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की सहायता के लिए जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है.
सॉलिसिटर जनरल ने क्या केंद्र के बचाव में क्या कहा?
वहीं केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ऑक्सीजन की कमी और COVID19 महामारी के प्रबंधन पर कहा, ‘हम स्थिति को बहुत सावधानी से संभाल रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि हाईलेवल कमेटी इस पर काम कर रही है और खुद प्रधानमंत्री स्थिति पर निगाह बनाए हुए हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ऑक्सीजन प्रबंधन में केरल या तमिलनाडु जैसे राज्यों से अच्छी रिपोर्ट्स भी हैं. एसजी ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है और राष्ट्र एक साथ खड़ा है. यह AAP या वाम पार्टी या किसी अन्य पार्टी का मुद्दा नहीं है.’
उन्होंने कहा कि केंद्र किसी भी संवैधानिक अदालत का विरोध नहीं करेगा चाहे वह हाईकोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट. हम किसी के अधिकार क्षेत्र पर सवाल नहीं उठा रहे हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आम तौर पर एक राज्य से दूसरे राज्य का कोई आपसी मुद्दा नहीं है. अगर ऐसे मुद्दे हैं, तो हम इसे दूर कर रहे हैं. केंद्र हाईलेवल कमेटी के साथ मुद्दों का समन्वय कर रहा है. हर घंटे की स्थिति के आधार पर मौजूदा हालात से युद्ध स्तर पर निपटा जा रहा है.
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से हलफनामा दाखिल करने के लिए शुक्रवार तक का समय मांगा. उन्होंने कहा कि कि उनकी मदद करने वाले कई लोग कोविड प्रभावित हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा ‘हम सहयोग की भावना से मामले से निपटेंगे. कृपया कोई भेदभाव न करें. आरोप प्रत्यारोप से लोगों की जिन्दगी नहीं बचेगी. हम यहां समाधान खोजने के लिए हैं.’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत टीका उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों पर स्पष्टता चाहती है.