कोंडागांव: सीपीआई ने विश्रामपुरी में किया धरना प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन
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कोण्डागांव। कोण्डागांव जिले के तहसील बडेराजपुर मुख्यालय विश्रामपुरी में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया द्वारा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर विश्रामपुरी में कॉलेज की स्थापना करने की स्थानीय मांग के साथ ही किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को समाप्त करने सहित अन्य मांगों को लेकर तहसीलदार के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। कोण्डागांव जिले के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला परिषद् एवं अखिल भारतीय नौजवान सभा के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के द्वारा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करने के बाद कार्यालय तहसीलदार बडेराजपुर (विश्रामपुरी) तक रैली की शक्ल में पहुंचकर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, महामहिम राज्यपाल सहित मुख्य मंत्री के नाम 10 मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में लेख किए गए मांगों में कथित नक्सल मामलों में जेलों में बंद हजारों निर्दोष आदिवासी को जेलों से छुड़वाने के चुनावी वादे को कांग्रेस पार्टी द्वारा पुरा कर अविलंब जेलों से रिहा करने, जिले के तहसील माकड़ी व विश्रामपुरी में तत्काल महाविद्यालय की स्थापना की जाने, बस्तर संभाग के सभी जाति वर्ग के लोगों को जो वन भूमि पर वर्ष 2005 के पूर्व से काबिज काश्त हैं, उन्हें वरीयता के आधार पर अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों के मान्यता) अधिनियम 2008 के प्रवधानों के तहत वनअधिकार प्रपत्र तत्काल प्रदान करने, नगरीय इलाकों के गरीब लोग कब्जा कर अपना आवास बनाए हुए हैं, अब ऐसे आवासीय भू खण्ड का पट्टा लेना असंभव हो गया है, क्योंकि हजारों-लाखों रुपए इसके लिए देना पड़ रहा है, जोकि गरीबों के लिए मुश्किल ही नहीं असंभव है, ऐसे आवासीय भू-खण्डों का निःशुल्क पट्टा प्रदाय करने। नगरीय इलाकों में गरीब आदिवासियों की हजारों हेक्टेयर जमीन है, जिसका पटटा नहीं बना पाये हैं, अब प्रशासन इसे शासकीय भूमि बताकर कब्जा कर रही है और उसमें अलग-अलग परियोजना के लिए भवन इत्यादि बना रही है, जिससे गरीब आदिवासियों का हक छीना जा रहा है। ऐसे भूमि को प्रशासन न ले तथा उसका पट्टा सम्बंधित को दिया जाए, इसी तरह चुनावों में किए वादे अनुसार नौकरी देने व बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिए जाने, मनरेगा के कार्यों में नगद व तत्काल भुगतान करने, दिगर प्रदेशों में पलायन रोकने, मनरेगा के कार्यों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए मजदूरी दर में राज्य सरकार अपना कोष का योगदान देकर प्रतिदिन 300 रुपये वृद्धि करने, चिटफंड कम्पनियों में निवेशकों के खरबों रुपये को निवेशकों को तत्काल लौटाने, श्रम कानूनों में बदलाव रद्द करने, बस्तर के मूलनिवासी आदिवासी जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने आदि का जिक्र किया गया है। इस दौरान बिरज नाग, दिनेष मरकाम, बिसम्बर मरकाम, मेघनाथ मरकाम, नन्दू नेताम, सरादु सोरी, शिवराम नेताम, लक्ष्मण महावीर, नरेन्द्र सोरी आदि मौजुद रहे।