कोंडागांव: प्रवासी भारतीय महिला डॉ कुसुम बेन ने बस्तर संभाग के 61 गांवों के विकास का उठाया बीड़ा
कोण्डागांव। ग्लोबल मैत्री अभियान से जुडी सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रवासी भारतीय महिला डॉ कुसुम बेन द्वारा बस्तर संभाग के 61 गावों को उनके सर्वांगीण विकास का प्रण लेकर गोद लिए जाने की बात आयोजित प्रेस वार्ता में कही गई है। डॉ कुसुम बेन अपने द्वारा गोद लिए बस्तर संभाग के 61 गांवों को, सामाजिक कार्यकर्ता हरिसिंह सिदार सहित अपने अन्य सहयोगी प्रतिनिधियों के सहयोग से आदर्श व विकसित ग्राम बनाना चाहती हैं। इन 61 गावों में कोण्डागांव जिले के 13 गांव भी शामिल हैं और उक्त प्रक्रिया के लिए उनके द्वारा राज्यपाल छग.षासन के माध्यम से राष्ट्रपति से अनुमति हेतु पत्र भी प्रेशित किया गया है। ज्ञात हो कि जिले के अंदरूनी इलाके में मूलभूत सुविधाओं का अभाव देखकर प्रवासी भारतीय डॉ.कुसुम बेन सी पटेल ने जिले 13 गांवों के साथ ही संभाग के 61 गांवों को गोद लेने की ईच्छा प्रकट करते हुए। महामहिम राष्ट्रपति व राज्यपाल को पत्र प्रेशित कर अनुमति मांगी है। डॉ.कुसूम ने बताया कि उसे भारत से अत्याधिक लगाव है जिसके फलस्वरूप वे पिछले तीन दशकों से भारत आती रहती हैं और स्थानीय विभिन्न संघ-संगठनों के माध्यम से अपने सामथ्र्य के अनुसार योगदान करती रही हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के बीच जब वह भारत आई तो उनके पूर्व परिचितों ने बताया कि बस्तर संभाग में ऐसे गांव हैं जो पहुंचविहिन, अति अविकसित अवस्था में हैं। यह जानकार मुझे दुख हुआ और इनमें से कुछ गांवों का दौरा करने के बाद मैने इन गांवों को गोद लेने का निर्णय लिया। जिससे कि यहॉ की वर्तमान वस्तुस्थिति को शासन-प्रशासन के सामने लाकर इन गांवों में सर्वांगीण विकास कर सभी गांवों को आदर्श गांव बनाया जा सके। आगे कहा कि हम गांवों को शिक्षित व जागरूक करने के लिए कदम बढ़ाना चाह रहे हैं, जिससे कि हर ग्रामीण को मूलभूत सुविधाएं मिल सके। मुझे पता है कि इलाके के कुछ गांवों में माओवाद अब भी अपनी पैठ बनाए हुए हैं, लेकिन हमारी उनसे कोई लड़ाई नहीं है, हो सकता है कि हमारी बात सुनकर वे भी अपने गांव के विकास के लिए आगे आएं। क्यांेकि आने वाले भविष्य की चिंता हर किसी को होती है, माओवादी भी तो हमारे जैसे इंशान ही हैं, जो अपना व अपनों का भला-बुरा सोच सकते हैं। हम केवल आगे बढ़कर काम करने की ईच्छा लेकर यहॉ गांवों में पहुंचकर लोगों से मिलकर आए हैं।
ट्राईबल व ईको टूरिज्म को मिलेगा बढावा
डॉ कुसूम के द्वारा गोद लेने की ईच्छा जाहिर करने वाले गांवों में वह शासकीय विकास कार्यों के साथ ही ट्राईबल टूरिज्म, ईको टूरिज्म, फारेस्ट टूरिज्म, रूरल टूरिज्म का समावेश करना चाहते हैं, जिससे उन सभी गांवों के निवासियों की आत्मनिर्भता विकसित हो व भारत सरकार को विदेशी मुद्रा भी मिल सकेगा।
इन गांवों को लेना चाहती हैं गोद
कोण्डागांव जिले के ग्राम बेचा, किलम, कड़ेनार, नेण्डवाल, तिरिनबेड़ा, डोडेम, मंदोडा, चिकपाल, कोटमेटा, बेडमा, तुमडीवाल, ककडीपदर, आलवाड, बस्तर जिले मेंकढेमेटा, सालेपाल, बटबेला, बोदली, गोठिया, कढ़यनार, एरपुण्ड, अमलीपदर, पिंदी कोढिर, हर्राकोढेर, इठमेटा, पाउल, टेडम, बीजापुर जिले में गुफा, कोहका, तोढ़मा, बोंडस, लकिती, मटैसी, तुसताल, गुमटैर, इरपानार, पदबेड़ा, अंदेरबेड़ा, नारायणपुर जिले में मढ़ोनार, हीड़कार, ब्रेम्हबेडा, हितुलवाड़, तुरूषवाड, शेतान, दर्राटी, कानानार, तोयामेटा, हांदावाड़ा, गोबेली, मोरोड़, रोताड़, ताड़काट, पट्टेवल, टेडाबेडा, मुगनार, तुलतुली, पोथवाड़, इंगा, जयगुडा, इकानार, फुलमेटा, कचोढा शामिल है।