छत्तीसगढ़

के समग्र विकास में वरदान साबित होगा बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना।

के समग्र विकास में वरदान साबित होगा बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना।

◼️किसानों ने कहा बारहमासी खेती से आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा।

बीजापुर – बस्तर अंचल की बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना से जिले के किसान और आम लोगों में विकास की एक नई उम्मीद जगी है। जो इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कृषि विकास के साथ ही जिले के समग्र विकास में वरदान साबित होने की महत्ता प्रतिपादित करते हुए बताते हैं कि उक्त बहुउद्देशीय परियोजना से जहां सिंचाई सुविधा के विस्तार से बारहमासी खेती को बढ़़ावा मिलेगा। वहीं मछलीपालन, पशुपालन, उद्यानिकी जैसी कृषि आधारित गतिविधियों से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। इसके साथ ही उक्त परियोजना से पेयजल प्रदाय एवं पर्यटन क्षेत्र में विकास को बल मिलेगा। इस महत्ती बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना से बीजापुर जिले के 218 ग्रामों के ग्रामीण लाभान्वित होंगे तथा खरीफ सहित रबी एवं ग्रीष्मकालीन सिंचाई रकबा में आशातीत वृद्धि होगी। बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना से लाभान्वित होने की उत्सुकता व्यक्त करते हुए जिले के भैरमगढ़ तहसील अंतर्गत कोडोली के प्रगतिशील कृषक नरहरि नेताम और कचरू नाग कहते हैं कि अभी कोडोली सिंचाई तालाब से रबी फसल की सिंचाई करते हैं। जब बोधघाट परियोजना पूरी होगी, तो ग्रीष्मकालीन खेती को बढ़ावा देंगे। इसी तरह नेलसनार के किसान मनीराम बघेल एवं आयतू तेलामी का कहना है कि बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी का पानी बहकर तेलंगाना में चला जाता है, जहां इसका सदुपयोग वहां के किसान कर रहे हैं। अब छत्तीसगढ़ सरकार इस महत्ती बोधघाट परियोजना को मूर्त रूप देने का सकारात्मक प्रयास कर रही है, तो भविष्य में इसका दूरगामी परिणाम क्षेत्र के विकास सहित खुशहाली होगी। वहीं भैरमगढ़ के प्रगतिशील कृषक श्री बीनू नाग कहते है कि अभी तक राज्य के मैदानी क्षेत्र रायपुर, धमतरी, महासमुंद आदि के किसानों को बारहमासी खेती-किसानी करते देख रहे है। बस्तर के इस महत्वाकांक्षी बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना के पूर्ण होने से निश्चित तौर पर हम बस्तर के किसान भी बारहमासी खेती-किसानी करेंगे।
बीजापुर जिले की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है इस दृष्टिकोण से बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना को कृषि के विकास सहित किसानों के आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित निरूपित करते हुए कार्यपालन अभियंता जलसंसाधन बीजापुर श्री जेपी सुमन ने बताया कि खेती-किसानी यहां के लोगों की परम्परागत व्यवसाय है, जिससे परिवार का जीवन-यापन चलता है। अभी जिले में सिंचाई के साधन सीमित हैं और उपलब्ध सिंचाई संसाधनों से किसान रबी एवं ग्रीष्मकालीन फसल की सिंचाई करते हैं। इस दिशा में बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना जिले के किसानों के लिए एक बड़ी सौगात है, जिससे वर्तमान सिंचित क्षेत्र 9 प्रतिशत से बढ़कर 78 प्रतिशत हो जायेगी। किसानों को सिंचाई सुविधा आसानी के साथ मिलने पर खरीफ फसल सहित रबी फसल और ग्रीष्मकालीन फसलों के पैदावार को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होने बताया कि बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना के अंतर्गत जिले में अभी प्रथम चरण में मुख्य नहर के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू किया गया है, इसके पश्चात द्वितीय चरण में शाखा नहर का सर्वे कार्य होगा। जिले में करीब 150 किलोमीटर मुख्य नहर का विस्तार किया जायेगा, जो भैरमगढ़ ब्लाक के चिडरापाल, मुंडेर, फुलगट्टा, नीलावाया, चेरली, पिनकोंडा, भैरमगढ़ होकर बीजापुर ब्लाक के अंदरूनी क्षेत्र में विस्तृत होगा। बस्तर अंचल की इस महत्वाकांक्षी बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना से बीजापुर जिले में खेती-किसानी को व्यापक तौर पर बढ़ावा मिलने की भरोसा व्यक्त करते हुए उपसंचालक कृषि श्री पीएस कुसरे ने बताया कि वर्तमान में जिले के किसान मानसून वर्षा पर आधारित खरीफ फसल के अलावा बहुत कम रकबा में रबी फसल लेते हैं। इस परियोजना के पूर्ण होने पर खरीफ सिंचाई रकबा सहित रबी और ग्रीष्मकालीन फसल की सिंचाई सुविधा मिलेगी। जिससे किसानों की आय में आशातीत वृद्धि होने के फलस्वरूप निश्चित तौर पर क्षेत्र में खुशहाली आयेगी।
ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ शासन ने बोधघाट परियोजना को नये सिरे से नये स्वरूप में ढालने का प्रयास शुरू किया है। इस प्रक्रिया में बस्तर के अतीत, वर्तमान और भविष्य के मद्देनजर दूरगामी परिणामदायी परियोजना को तैयार किया गया है। इन्द्रावती नदी का जो जल छत्तीसगढ़ में प्रवाहित होता है उसका वर्तमान में करीब 11 टीएमसी जल ही बस्तर के काम आ रहा है, जबकि गोदावरी जल विवाद अभिकरण द्वारा प्रदत्त फैसले के अनुसार 300 टीएमसी जल का उपयोग किया जा सकता है। इसे ध्यान रखते हुए बस्तर अंचल की महत्वाकांक्षी बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना को साकार करने का निर्णय लिया गया है। इंद्रावती नदी के जल पर छत्तीसगढ़ राज्य और बस्तर के निवासियों का अधिकार एक प्रकृति प्रदत्त न्याय है जिसका उपयोग बस्तर के समग्र विकास के लिए करने सहित उसे निरंतर आगे बढ़ाना है। इसी मंशानुरूप बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना में बस्तर के स्थानीय हितों का पूर्णतः ध्यान रखा गया है। एक ओर जहा डूबान क्षेत्र सीमित रखा गया है, तो वहीं दूसरी ओर परियोजना को व्यापक रूप से स्थानीय जनता के लिए लाभकारी बनाने का प्रयास किया गया है। इस परियोजना से प्रारंभिक तौर पर दंतेवाड़ा जिले में सिंचाई का रकबा 66.73 प्रतिशत, सुकमा जिले में सिंचाई का रकबा 60.59 प्रतिशत तथा बीजापुर जिले में सिंचाई का रकबा 68.72 प्रतिशत बढ़ जायेगा। इससे राज्य में कुल सिंचाई के रकबे में 4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी। परियोजना से प्रभावित परिवारों को पशुपालन, मछलीपालन, पर्यटन, परिवहन इत्यादि रोजगामूलक कार्यो से जोड़ने के लिए सार्थक पहल किया जायेगा।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना पूर्ण होने से बस्तर अंचल में कृषि से ही 4269.74 करोड़ रूपए की आय अनुमानित है। इसी तरह मछलीपालन, औद्योगिक जल प्रदाय, पेयजल, पर्यटन ईत्यादि के जरिये 6223 करोड़ रूपए से अधिक वार्षिक आय होने की संभावना है। इसका लाभ स्थानीय स्तर पर क्रय क्षमता में वृद्धि के साथ ही रोजगार के नये अवसरों के रूप में मिलेगा। पूर्व के परियोजना में जल विद्युत की प्रधानता थी, लेकिन अब स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों के विकास की प्रधानता है। इसलिए जल विद्युत उत्पादन क्षमता भी 500 मेगावाट से घटाकर 300 मेगावाट कर दी गई है। इस सिंचाई परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले में नहरों के माध्यम से 3 लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर में सिंचाई के लिए जलापूर्ति होगी। इसमें लिफ्ट इरीगेशन को भी शामिल कर बस्तर के अन्य जिलों को भी सिंचाई एवं विस्तार के लिए पानी उपलब्ध कराया जायेगा। बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजनों के निर्माण से बस्तर अंचल का सिंचित रकबा 72 प्रतिशत हो जायेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से दंतेवाडा के 51, बीजापुर जिले के 218 तथा सुकमा के 90 इस तरह कुल 359 गांव लाभान्वित होंगे। उक्त तीनों जिलों में खरीफ में एक लाख 71 हजार 75 हेक्टेयर, रबी में एक लाख 31 हजार 75 हेक्टेयर तथा ग्रीष्मकाल में 64 हजार 430 हेक्टेयर इस प्रकार कुल 3 लाख 66 हजार 5 80 हेक्टेयर रकबा में सिंचाई होगी

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