जिला मुख्यालय से 54 किमी दूर छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र को जोड़ने वाली तिमेड पातागुड़ा ब्रिज पर लापरवाही पूर्वक रेत उत्खनन से धसकने का खतरा मंडराने लगा

जिला मुख्यालय से 54 किमी दूर छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र को जोड़ने वाली तिमेड पातागुड़ा ब्रिज पर लापरवाही पूर्वक रेत उत्खनन से धसकने का खतरा मंडराने लगा है।
मिली जानकारी के अनुसार तिमेड पतागुड़ा ब्रिज की लंबाई630 मीटर लंबी ब्रिज 21 कालमों में 30 मीटर की दूरियों स्थापित कर बनाया गया है। यह पुल इंद्रावती नदी पर हाई लेबल ब्रिज के नाम पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा लगभग 6 वर्षों में 19722 लाख रुपये की लागत पर बनाई गई है।इस ब्रिज के ठीक नीचे रेत खनन का काम चालू है। यह रेत खनन का कार्य भैरमगढ़ निवासी सतीश कुमार गुप्ता द्वारा किया जाना बताया गया है।
तिमेड के ग्रामीणों ने बताया कि यह उत्खनन पिछले साल भी हुई थी पर बीच मे बारिश के कारण रेत खनन बंद रही।
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ओंकार सिंह ,डिप्टी कलेक्टर एवम खनिज प्रभारी अधिकारी का कहना है कि “उन्हें ब्रिज के नीचे रेत उत्खनन की जानकारी नही है। माइनिंग नियमो से उलट कोई काम हो रहा है तो निश्चित ही कार्यवाही होगी।”
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रेत खनन करने वाले ठेकेदार से सम्पर्क करने के दौरान बी गौतम राव ने बताया कि वे इसका काम देखते हैं। गौतम ने बताया कि पानी का बहाव मोड़ने के लिए रेत हटा लाइन बनाये जा रहे हैं। मुझे पत्रकारिता का ज्ञान है।”
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लोकनिर्माण विभाग के एसडीओ मिंज की माने तो ब्रिज के नीचे रेत खनन से ब्रिज के धसकने का खतरा बढ़ जाता है।ब्रिज के नीचे पानी का बहाव बढ़ने पर भंवर पैदा होकर नीव को कमजोर कर देता है।