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ईट भट्टो को लेकर कचान्दुर के ग्रामीणों में पनप रहा आक्रोश

दुर्ग । दुर्ग जिले के ग्रामीण क्षेत्र में अवैध रूप से कई ईंट भट्ठे संचालित हैं । ईंट भट्ठों के चलते लोगों को धूल, राखड़ उड़ने से परेशानी तो हो ही रही है । वहीं क्षेत्र में आगजनी का खतरा भी बना हुआ है । ग्रामीण  क्षेत्र में चल रहे इस अवैध कारोबार पर जिले का खनिज विभाग मौन है । तमाम जानकारी के बाद भी विभाग कार्रवाई करने में कोताही बरत रहा है । दुर्ग ब्लाक के कचान्दुर ग्राम में चल रहे 4 ईंट भट्टों में ईंट का निर्माण किसी चिमनी भट्टे के निर्माण से कम नहीं है । जबकि शासन प्रशासन ने कुम्हार जाति के लोगो को अपना पुश्तैनी कारोबार से जुड़े रहने रॉयल्टी में छुट दे राखी है तो वही ईट के निर्माण को लेकर मापदण्ड भी तय किये है, लेकिन किसी भी हाथ भट्टो में मानक का पालन नहीं किया जा रहा है, शासन के निर्देश के अनुसार घर परिवार मिलकर बगैर मशीनरी के ईट के निर्माण किया जाना है लेकिन यहाँ तो बड़ी संख्या मजदुर से ईट का निर्माण का कार्य कराया जा रहा है, जिसमे छोटे छोटे बच्चे भी बाल मजदूरी कराई जा रही हैं, शासन ने ईट निर्माण को लेकर 3 माह 6 माह ईट निर्माण से सम्बन्धी जानकारी खनिज विभाग में जमा करने के भी निर्देश भी दिए थे लेकिन खनिज विभाग की उदासीनता के चलते इन ईट भट्टों में ना तो कोई हिसाब है और ना ही कोई पूछ परख है ! वही कचान्दुर के सचिव का कहना है कि गाव में संचालित अवैध ईंट भट्ठों से निकलने वाले धूल, धुआं, राखड़ से लोगो को परेशानी हो रही है ।

ईंट भट्ठा फैला रहे प्रदूषण

वही ग्रामीणों का कहना है कि ईंट भट्ठों से प्रदूषण फैल रहा है। शासन ने ईट भट्टों के संचालन में पर्यावरण की भी बात कही है लेकिन इन ईट भट्टों के संचालकों द्वारा ना तो यहाँ किसी भी प्रकार से वृक्षारोपण किया है बल्कि इन ईट भट्टों के चलते भारी मात्रा में हरे भरे पेड़ों की कटाई कर इन ईट भट्टों के हवाले धड़ल्ले से किया जा रहा है, वही ईंट भट्ठों में भूसे का मनमाना उपयोग हो रहा है, जिससे धुआं और राखड़ उड़ रहा है। भट्ठों के आग से आगजनी की भी आशंका हमेशा बनी रहती है। ऐसे कारोबार निर्जन क्षेत्र में कराने की जरूरत है ।  इस अवैध कारोबार पर पर्यावरण विभाग व  खनिज विभाग की चुप्पी समझ से परे नजर आ रही है !

कचान्दुर में संचालित ईट भट्टों को लेकर जब हमने पूर्व सरपंच से चर्चा की तो उन्होंने बताया की कुम्हार जाति के लोगो के लिए हमारे पंचायत 2008 में प्रस्ताव आया था, लेकिन उस समय सरपंच के द्वारा कचान्दुर में कुम्हार जाति के लोगो की संख्या निरंक होने के चलते प्रस्ताव को उनके द्वारा निरस्त कर वापस कर दिया गया, लेकिन 2009 में चुनकर आये सरपंच ने तो पता नहीं कैसे उसने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, और तो और इसमें दो भट्टा संचालक तो यहाँ के है ही नहीं और ना ही कभी इस गाव में उनका निवास रहा है लेकिन पता नहीं कैसे उनका कचान्दुर गाव का वोटर आई डी कार्ड भी बन गया, जबकि वो लोग भिलाई के बैकुंठ धाम में निवास करते है, वही एक व्यक्ति जो ग्राम भटगाव का निवासी है उसके द्वारा दो जगह पर ईट भट्टा संचालित किया जा रहा है !

कचान्दुर सचिव के अनुसार उनको अनुमति 2020 तक मिली थी अब उनकी वैधता समाप्त हो चुकी है और ग्रामीणों द्वारा लगातार ईट भट्टों को बंद किये जाने की मांग उठ रही है, जिसको लेकर पिछले दिनों ग्राम पंचायत में वर्तमान पंचायत बाडी के द्वारा प्रस्ताव बनाकर उन ईट भट्टो को बंद कर जगह को रिक्त किये जाने को लेकर नोटिस दिया गया, लेकिन भट्टा संचालकों द्वारा नोटिस के जवाब में वकील के द्वारा नोटिस भेज यह जानकारी दी गई है की ग्राम पंचायत को ईट भट्टों के संचालन को बंद करने की अनुमति नहीं है ! अब ऐसे में विवाद की स्थिति जन्म लेती दिखाई दे रही है ! शासन प्रशासन जल्द ही इस अवैध कारोबार की जांच कर इसपर प्रतिबन्ध नहीं लगाता तो बहुत जल्द कचान्दुर में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है !

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