सिटी कोतवाली पर लगाए जा रहे आरोप पर उठा पर्दा*

*सिटी कोतवाली पर लगाए जा रहे आरोप पर उठा पर्दा
मुंगेली से मनीष नामदेव की रिपोर्ट
थाने में लोग भरोसा करके जाते हे
चाहे कोई भी उनकी समशिया हो सब का समाधान होता है लेकिन कुछ तथिय के लोग थाने को ही बदनाम करने में लगे हे ऐसा ही एक मामला मुंगेली थाने का आया है जहां लोग कतिपय मीडिया के सहारे झूठ को सच बतलाने वाले धुंधले चेहरे से आखिरकार पर्दा हट ही गया और इस मामले में लगभग कोतवाली पुलिस पर बेबुनियाद आरोप जो लगाए जा रहे थे उस पर से पर्दा हटता नजर आ रहहा है। ये सब में जो पूर्व में घटना घटित हुई वह तो एक संगीन अपराध जैसे है ही मगर दूसरा गंभीर अपराध का दायरा बेबुनियाद बात को मनगढ़त स्टोरी बनाने के चलते कुछ कथित मीडिया के लोग भी अब टारगेट में आते नजर आ रहे है चुंकि यह घटना और पुलिस की कार्यवाही को रोकने के लिए एक कुत्सित प्रयास माना जा रहा है जो कि समाज हित मे कही से भी सही नही था । बहरहाल पूरे घटनाक्रम से पर्दा उठते हुए नजर आ रहा है नाबालिग के हवाले से आरोप लगाने वाले खुद बदमाश और शातिर अपराधी तत्व है।
बता दें लोरमी बायपास में आठ से 10 नकाबपोश युवकों ने करण सिंह ठाकुर पर जानलेवा हमला कर दिया था। उस दौरान बाकी युवक तो नकाब पहने हुए थे लेकिन दाऊपारा में रहने वाले एक बदमाश ने नकाब नही पहनी थी और उसे करण सिंह ठाकुर ने पहचान लिया। जिसके खिलाफ थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई। बताया जा रहा है कि यह शातिर अपराधी करीब साल भर पहले मुंगेली के मनुराज टॉकीज में बुकिंग क्लर्क को जलाकर मार देने के मामलों में भी आरोपी था, लेकिन उस वक्त नाबालिक होने की वजह से वह छूट गया। मगर उस घटना के बाद भी उसने अपराध से नाता नहीं तोड़ा और गैंग बनाकर उसने करण सिंह ठाकुर पर हमला किया। हमले के बाद नाबालिग अपने कुछ साथियों के साथ अजमेर राजस्थान भाग गया। 2 फरवरी को उसका जन्मदिन था और इसी दिन वह 18 साल का बालिग भी हो गया, इसीलिए वह अपना जन्मदिन मनाने वापस मुंगेली लौट आया। पुलिस को खबर लगते ही पेट्रोलिंग कर रही पुलिस उसे हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए थाने ले आई। बताया जा रहा है इसकी खबर दूसरे गुट को भी लग गई और वह इसके थाने से वापस लौटने की प्रतीक्षा करने लगे । पुलिस ने भी मामले की संवेदनशीलता को समझा और उसे रात भर थाने में ही रोके रखा और सुबह उसे घर जाने दिया। लेकिन जिस पुलिस ने उसकी जान बचाई घर लौटने के बाद नाबालिक और उसका भाई और उसकी मां उसी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाने लगे। उन लोगों ने पुलिस पर मारपीट करने के साथ गुप्तांग में आग लगाने जैसा अजीबोगरीब आरोप भी लगाए और इसका आरोप उन्होंने एक महिला हवलदार पर लगाया जबकि वह उस दिन 9:00 बजे अपनी ड्यूटी खत्म कर घर चली गई थी। पुलिस इस आरोपी के आरोपों को सिरे से नकार रही है। उसका कहना है कि अपना अपराध छुपाने और पुलिस कार्यवाही से बचने के लिए शातिर परिवार इस तरह के झूठे आरोप लगा रहा है, क्योंकि इस मामले में वही नहीं उसके परिवार के भी कुछ सदस्य शामिल है।
मुंगेली में जानकारों का कहना है कि इस शातिर युवक और उसके कुछ रिश्तेदारों ने मिलकर एक गैंग बना लिया है जो सुपारी लेकर लोगों के साथ मारपीट और अन्य अपराध को अंजाम देते हैं। बाद में अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए इनके पास एक प्रायोजित कहानी और कुछ मीडिया से जुड़े लोगों का सहारा ले झूठ को सच बताने का हथकंडा अपनाया जाता है।
करण सिंह ठाकुर के साथ भी इसी तरह के अपराध को अंजाम दिया गया था, जिनका दावा है कि उन्होंने कोतवाली थाने में सभी के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराया था। लेकिन जब पुलिस ने पूछताछ के
लिए एक आरोपी को पकड़ा तो उन्होंने बखेड़ा खड़ा कर दिया।
अब तक यह लोग मुंगेली शहर में अनेक आपराधिक गतिविधियों में रहते हुए अपना दहशत फैला रहे थे। लेकिन अब तो इन्होंने कुछ मीडिया के सहारे सीधे पुलिस पर ही हमला बोल दिया है, हालांकि झूठ का पर्दाफाश होने में वक्त नही लगता है इस पूरे मामले में मुंगेली कोतवाली की टीम और अच्छे कार्यप्रणाली के बाद कुछ मीडिया में ये नौटंकीदार खबर पर आमजनमानस अचंभित सा हुआ साथ ही लोगो की प्रतिक्रिया भी आने लगी क्या शहर भीतर मुख्य कोतवाली जैसे थाने में ऐसी कोई घटना हो भी सकती है। लोग मीडिया के सहारे दिनभर चटकारे जरूर लेते रहे मगर हकीकत कहीं दूर नही था लोगो के सामने आने में और देर शाम आ भी गया। मगर अब सवाल यह ही उठता है क्या ऐसी खबर कुछ मीडिया में आनी थी ? आई भी तो इससे सामाजिक संदेश अथवा अपराध नियंत्रण की दृष्टि से कोई प्रयास हुआ नही, बल्कि झूठी खबर के सहारे शहर के शांत वातावरण में यह एक उन्माद फैलाने का प्रयास माना जा सकता है क्योंकि घटना की कहानी की कोई पुष्टि नही और बिना सिर पैर के शातिर अपराधी को बचाने पुलिस की छवि को गंदा बताने का काम कर दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम पर पुलिस रक्षात्मक मोड पर काम कर शीघ्रता से पर्दाफाश करने में सफल रही।
बता दें शातिर आरोपी विशेष अल्पसंख्यक समुदाय से है, ऊपर से जिस आरोपी ने अपने साथ मारपीट का आरोप लगाया है वारदात के
वक्त वह नाबालिग था, इसलिए पुलिस के हाथ बंधे हुए हैं और
यह हाथ उस कानून ने बांधे हैं जिसके तहत एक नाबालिक अपराध को तो अंजाम दे सकता है और देते रहा लेकिन उसके खिलाफ कोई गंभीर कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती।
आज कुछ चैनल और पोर्टल के सहारे इसी शातिर अपराधी को मुंगेली का मासूम बताने लगा रहा मगर सच के सामने आने के बाद पुलिस स्वयं अब इन लोगो पर भी शिकंजा कस सकती है क्योंकि पूरे मामले में कहीं न कहीं से भड़काऊ संदेश फैलाने का काम हुआ है अगर समय रहते मामले का पर्दाफाश ना होता तो शायद कुछ और माहौल बनने या कोई नया बखेड़ा तैयार होने समय नही लगता। बहरहाल अब पूरे नाटकीय घटनाक्रम से पर्दा हट चुका है।