रेल प्रशासन के साथ वार्ता विफल, कल रेल चक्का जाम को दिया कई संगठनों ने समर्थन : माकपा
*भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)*
*जिला समिति कोरबा, छत्तीसगढ़*
*रेल प्रशासन के साथ वार्ता विफल, कल रेल चक्का जाम को दिया कई संगठनों ने समर्थन : माकपा*
कोरबा। लॉक डाउन के बाद से कुसमुंडा के गेवरा रोड स्टेशन से बंद पड़ी सभी ट्रेनों को चालू करने की मांग पर कल 3 फरवरी को माकपा द्वारा आहूत रेल चक्का जाम आंदोलन को आम जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है। सीटू, छत्तीसगढ़ किसान सभा, जनवादी महिला समिति और रेल संघर्ष समिति के साथ ही व्यापारियों और ऑटो चालकों के संगठनों ने भी इस आंदोलन में भाग लेने की घोषणा की है।
इधर इस आंदोलन को टालने के लिए माकपा नेताओं के साथ रेल प्रशासन ने बैठक कर उनसे आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया। इस बैठक में शामिल कोरबा के क्षेत्रीय रेल प्रबंधक मनीष अग्रवाल का कहना था कि गेवरा से रेलें इसलिए नहीं चलाई जा सकती, क्योंकि राज्य शासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा है। उनका कहना था कि राज्य सरकार की अनुमति मिलते ही गेवरा से ट्रेनें चलनी शुरू हो जाएंगी और इसलिए आंदोलनकारियों को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। माकपा की ओर से वार्ता में शामिल नेताओं प्रशांत झा, वी एम मनोहर, जनाराम कर्ष, जवाहर सिंह कंवर,सजी जॉन,ए के गोस्वामी आदि ने रेल प्रशासन के इस तर्क को ठुकरा दिया। उनका कहना था कि रेल विभाग केंद्र सरकार के अधीन काम करता है और इसलिए रेल परिचालन संबंधी समस्याओं के लिए राज्य सरकार को कोरबा रेल प्रबंधन द्वारा दोषी ठहराना शरारतपूर्ण है। माकपा नेताओं द्वारा इस संबंध में दस्तावेज दिखाने की मांग किये जाने पर रेल प्रशासन निरूत्तर रहा।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि रेल प्रशासन आम जनता को भ्रमित करने का काम कर रहा है और इस मुद्दे पर राज्य सरकार को बेवजह बदनाम करने की चाल चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और यहां के राजस्व मंत्री को भी जनता की इस मांग और रेल प्रबंधक के कथन पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
माकपा नेता वी एम मनोहर का कहना है कि गेवरा से सबसे ज्यादा कमाई करने के बावजूद इस क्षेत्र की आम जनता को रेल सुविधाएं देने के नाम पर प्रबंधन फिसड्डी साबित हुआ है। आम जनता ने लड़कर जिन ट्रेनों को यहां से शुरू भी करवाया था, कोरोना संकट की आड़ में ये सब ट्रेनें मात्र इसलिए बंद कर दी गई है कि कोल परिवहन के लिए रास्ता साफ रहे। उन्होंने कहा कि यदि रेल प्रबंधन अपने जन विरोधी रवैये को नहीं छोड़ती, तो इस क्षेत्र के लोग, जिन्होंने अपनी जमीन इस सरकार को कोयला खनन के लिए दी है, वे यहां से रेलवे को भी कोयला परिवहन की अनुमति नही देंगे और कल 3 फरवरी को गेवरा-कुसमुंडा रेल मार्ग को जाम करेंगे।
उल्लेखनीय है कि गेवरा स्टेशन से यात्री ट्रेनों के संचालन की मांग को लेकर माकपा चरणबद्ध आंदोलन कर रही है। इसके पहले 16से 19 फरवरी तक रेलवे अधिकारियों का पुतला जलाया गया था। इस कार्यक्रम में आम जनता की भागीदारी गौरतलब थी।
गेवरा रोड स्टेशन से रेलवे सबसे ज्यादा राजस्व वसूल करता है। यहां एसईसीएल की गेवरा कोयला खदान है, जो एशिया की सबसे बड़ी खदान है और हर साल 42 मिलियन टन कोयले की ढुलाई रेल से ही होती है। कोल परिवहन के इस व्यस्ततम मार्ग पर यदि 2 घंटे भी चक्का जाम हुआ, तो रेलवे को राजस्व की क्षति के साथ ही एसईसीएल के 5000 टन कोयले की ढुलाई बाधित होने और उसे 3 करोड़ रुपयों का नुकसान होने का अंदेशा है।