छत्तीसगढ़

रायपुर का ऐसा प्राचीन मंदिर, जहां सब्जियों से होता है श्रृंगार, भक्तों की सभी मनोकामनाएं होती है पूरी

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर () में सदर बाजार (Sadar Bazar) स्थित अंबा देवी (Amba Devi) का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां साल में एक बार मां अंबा देवी (Amba Devi) की प्रतिमा को मां शाकंभरी देवी (Maa Shakambhari Devi) के रूप में हरी सब्जियों से श्रृंगार (Make up from green vegetables)किया जाता है।

 

प्रतिमा के श्रृंगार में हर तरह की सब्जियां का उपयोग किया जाता है। प्रतिमा के मनमोहक श्रृंगार का दर्शन करने के लिए मंदिर में भक्त दूर-दूर के दर्शन के लिए आते हैं। 

पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर देवी दुर्गा के एक रूप शाकंभरी देवी की पूजा करने का विधान है। बीते 50 साल से अधिक समय से अंबा मंदिर में विभिन्न तरह की सब्जियों से साल में एक बार माता का श्रंगार किया जाता है। वहीं माता के भक्तों को सब्जियों के रूप में प्रसाद वितरण किया जाता है।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी दुर्गा की पूजा आराधना के लिए 1 साल में चार नवरात्रि मनाने का विधान है। इसमें से दो नवरात्रि चैत्र और को क्वार अश्विन माह के दो गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ महीने में मनाई जाती है। इन चार नवरात्रि के अतिरिक्त शाकंभरी महोत्सव को भी 9 दिनों तक मनाने की परंपरा है। जिसमें देवी दुर्गा के एक रूप शाकंभरी की पूजा-अर्चना की जाती है।

 

बहुत शुक्ल अष्टमी से शुरू हुए शाकंभरी महोत्सव का समापन पौष पूर्णिमा को होता है। मान्यता है कि मां शाकंभरी की पूजा अर्चना करने और सब्जियों का भोग लगाने से मां प्रसन्न होती हैं। खेत खलिहान में हरियाली थाने और बेहतर फसल होने तथा परिवार की सुख समृद्धि का आशीर्वाद मां अपने भक्तों को देती है।

पुराणों में मान्यता है कि देवी शाकंभरी आदि शक्ति दुर्गा का अवतार है। दुर्गा के सभी अवतारों में रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शाकंभरी की विशेष पूजा की जाती है। मां शाकंभरी का वर्ण मिला है। नीलकमल के समान ही इनका नेत्र है यह कमल पुष्प पर ही विराज करती है।

मंदिर के पुजारी की माने तो पौराणिक कथा के अनुसार एक समय फूलों पर दुर्गम नामक दैत्य के प्रकोप से 100 साल तक बारिश नहीं हुई जिसके बाद पृथ्वी पर अन्य जल की कमी से प्रजा में हाहाकार मच गया दुर्गम दत्त ने देवताओं से चारों वेदों को चुरा लिया था जिसके बाद अत्याचारी के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए देवी शाकंभरी ने दुर्गम दैत्य का वध किया और देवताओं को वेद लौट आए। 

मान्यता है कि देवी शाकंभरी की 100 आंखें हैं देवी ने अपने सभी नेत्रों से देवताओं देवताओं की ओर देखा और धरती पर हरियाली छा गई नदियां लगाकर भर गई पेड़ों पर फल लग गए देवी ने शरीर से पैदा हुए सात से संपूर्ण धरती का पालन पोषण किया। इसी वजह से देवी का सब्जियों से श्रृंगार करके सब्जियों का भोग अर्पित किया जाता है।

 

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